नई दिल्ली। सरकार एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) के लिए जल्द ही बाजार नियामक सेबी के पास अंतिम दस्तावेज दाखिल कर सकती है। इसमें मूल्य सीमा, पॉलिसीधारकों और खुदरा खरीदारों के लिए छूट और जारी किए जाने वाले शेयरों की वास्तविक संख्या के बारे में ब्योरा होगा। रूस-यूक्रेन युद्ध से बाजार की अस्थिरता को देखते हुए सरकार फिलहाल इंतजार करने के मोड में है और LIC की आईपीओ को लेकर समय पर फैसला करेगी। एक अधिकारी के मुताबिक, हमें ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) की मंजूरी मिल गई है और अगला कदम आरएचपी दाखिल करना होगा, यह मूल्य बैंड और शेयरों की वास्तविक संख्या की डिटेल देगा। उन्होंने कहा, हम स्थिति देख रहे हैं, और जल्द ही शेयर बिक्री के समय पर फैसला लेंगे।
LIC ने 13 फरवरी को DRHP दाखिल किया
एलआईसी ने 13 फरवरी को आईपीओ के लिए DRHP दाखिल किया था। इस हफ्ते की शुरुआत में सेबी ने ड्राफ्ट पेपर्स को मंजूरी दे दी थी, जिससे शेयर बिक्री का रास्ता साफ हो गया। चालू वित्त वर्ष में 78,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार को जीवन बीमा फर्म में लगभग 31.6 करोड़ या 5 प्रतिशत शेयर बेचकर 60,000 करोड़ रुपये से अधिक की उम्मीद थी।
अगर प्रारंभिक शेयर बिक्री मार्च तक नहीं होती है, तो सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए अपने संशोधित विनिवेश लक्ष्य के अंतर से चूक जाएगी। 5 प्रतिशत हिस्सेदारी कमजोर पड़ने पर, एलआईसी आईपीओ भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा IPO होगा और एक बार लिस्टेड होने के बाद, इसका बाजार मूल्यांकन आरआईएल और टीसीएस जैसी शीर्ष कंपनियों के बराबर होगा।
कर्मचारियों को दी जाने वाली छूट का खुलासा नहीं
सरकार ने DRHP में IPO में पॉलिसीधारकों या एलआईसी कर्मचारियों को दी जाने वाली छूट का खुलासा नहीं किया। नियमों के मुताबिक, इश्यू साइज का 5 फीसद तक कर्मचारियों के लिए और 10 फीसद तक पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित किया जा सकता है। चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक ओएफएस, कर्मचारी ओएफएस, रणनीतिक विनिवेश और बायबैक के जरिए 12,423.67 करोड़ रुपये मिले हैं।