जीवन परिचय –
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म 25 सितम्बर 2016 वर्तमान उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के अंतर्गत आने वाले ‘नगला चन्द्रभान’ नमक ग्राम में हुआ था | उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था और माता जी का नाम राम प्यारी था | दीनदयाल अभी 3 वर्ष के भी नहीं हुये थे, कि उनके पिता का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु से माँ रामप्यारी को अपना जीवन अंधकारमय लगने लगा। वे अत्यधिक बीमार रहने लगीं। उन्हें क्षय रोग लग गया । 8 अगस्त 1924 को उनका भी देहावसान हो गया। उस समय दीनदयाल 7 वर्ष के थे। 18 नवम्बर 1934 को अनुज शिवदयाल ने भी उपाध्याय जी का साथ सदा के लिए छोड़कर दुनिया से विदा ले ली । पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने 1937 बी०ए० पाठयक्रम करते समय अपने सहपाठी बालूजी महाशब्दे की प्रेरणा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को कानपुर में संघ के संस्थापक डॉ० हेडगेवार का सान्निध्य प्राप्त हुआ । उपाध्याय जी ने पढ़ाई पूरी होने के बाद संघ का दो वर्षों का प्रशिक्षण पूर्ण किया और संघ के जीवनव्रती प्रचारक हो गये। आजीवन संघ के प्रचारक रहे। संघ के माध्यम से ही उपाध्याय जी राजनीति में आये । 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना हुई। 1952 में इसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ। उपाध्याय जी इस दल के महामंत्री बने।इस अधिवेशन में पारित 15 प्रस्तावों में से 7 उपाध्याय जी ने प्रस्तुत किये।
1967 तक उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे। 1967 में कालीकट अधिवेशन में उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वह मात्र 43 दिन जनसंघ के अध्यक्ष रहे। 10/11 फरवरी 1968 की रात्रि में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई।
पं. दीनदयाल जी भारतीय जनता पार्टी के लिए वैचारिक मार्गदर्शन और नैतिक प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। वे मजहब और संप्रदाय के आधार पर भारतीय संस्कृति का विभाजन करने वालों को देश के विभाजन का जिम्मेदार मानते थे। वे हिन्दू राष्ट्रवादी तो थे ही, इसके साथ ही साथ वे भारतीय राजनीति के पुरोधा भी थे। उनकी कार्यक्षमता और परिपूर्णता के गुणों से प्रभावित होकर डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी बड़े गर्व से सम्मानपूर्वक कहते थे कि- ‘यदि मेरे पास दो दीनदयाल हों, तो मैं भारत का राजनीतिक चेहरा बदल सकता हूं।’ विलक्षण बुद्धि, सरल व्यक्तित्व एवं नेतृत्व के अनगिनत गुणों के स्वामी पं. उपाध्याय देश सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उन्होंने कहा था कि ‘हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारतमाता है, केवल भारत ही नहीं । माता शब्द हटा दीजिए तो भारत केवल जमीन का टुकड़ा मात्र बनकर रह जाएगा।’
पं. दीनदयाल उपाध्याय और एकात्म मानव दर्शन
वस्तुतः यदि हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन दर्शन को निष्पक्ष एवं धार्मिकता का चश्मा हटा कर देखे तो उनका सम्पूर्ण जीवन आपने आप में एक दर्शन के रूप में दिखाई देगा जिसको हम लोग उनके एकात्म मानववाद में देख सकते हैं | एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय बीसवीं सदी के वैचारिक युगपुरुष थे, वे अजातशत्रु थे। उन्होंने भारत के जन-मन-गण को गहराई में आत्मसात करते हुए न केवल वैचारिक क्रांति की बल्कि व्यक्ति-क्रांति के भी प्रेरक बने। उनके दर्शन में आज भारत की संस्कृति और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के साथ-साथ मानव को केंद्र-बिंदु में रखकर ही राष्ट्र एवं समाज स्थापना की प्रेरणा मिलती है। दीनदयाल जी कल भी प्रासंगिक थे, आज भी प्रासंगिक हैं, और आगे भी प्रासंगिक रहेंगे। एकात्म मानववाद तात्कालिक जनसंघ और भाजपा के लिए नहीं वरण विश्व की मानव सभ्यता और संस्कृति के लिए एक पाथेय है, एक नयी समाज-व्यवस्था का प्रेरक है।
एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित उपाध्याय का मानना था कि अपनी सांस्कृतिक संस्कारों की विरासत के कारण भारतवर्ष विश्व गुरु के स्थान को प्राप्त करेगा। पं. दीनदयाल द्वारा दिया गया मानवीय एकता का मंत्र हम सभी का मार्गदर्शन करता है। उन्होंने कहा था कि मनुष्य का शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा ये चारों अंग ठीक रहेंगे तभी मनुष्य को चरम सुख और वैभव की प्राप्ति हो सकती है। मानव की इसी स्वाभाविक प्रवृति को पं. दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद की संज्ञा दी।
पं. उपाध्याय का मानना था कि भारत की आत्मा को समझना है तो उसे राजनीति अथवा अर्थ-नीति के चश्मे से न देखकर सांस्कृतिक दृष्टिकोण से ही देखना होगा। भारतीयता की अभिव्यक्ति राजनीति के द्वारा न होकर उसकी संस्कृति के द्वारा ही होगी। समाज में जो लोग धर्म को बेहद संकुचित दृष्टि से देखते और समझते हैं तथा उसी के अनुकूल व्यवहार करते हैं, उनके लिये पंडित उपाध्याय की दृष्टि को समझना और भी जरूरी हो जाता है। वे कहते हैं कि विश्व को भी यदि हम कुछ सिखा सकते हैं तो उसे अपनी सांस्कृतिक सहिष्णुता एवं कर्तव्य-प्रधान जीवन की भावना की ही शिक्षा दे सकते हैं।
नरेन्द्र मोदी पंडित उपाध्याय के एकात्म मानव-दर्शन एवं अंत्योदय के सपने को साकार कर रहे हैं
आपके विचारों के भाव इन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त होते हैं – काली रात नहीं लेती है नाम ढलने का, यही तो वक्त है ‘सूरज’ तेरे निकलने का।’ आज पंडित उपाध्याय के सपनों का समाज बन रहा है, वह सूरज उदितोदित है, यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पंडित उपाध्याय के एकात्म मानव-दर्शन एवं अंत्योदय के सपने को साकार कर रहे हैं। उनका सपना था कि समाज के अंतिम व्यक्ति को अपने जीवन पर गर्व हो और वह तेजस्वी स्वर में कह सके कि मुझे भारतीय होने पर गर्व है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी एकात्म मानव-दर्शन एवं अंत्योदय की मूल भावना से प्रेरित होकर सेवा , समर्पण और संकल्प की भावना के साथ समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े हुए व्यक्ति तक जनसुविधाए एवं न्याय पहचानें के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रहे है उन्होंने सबका साथ और सबका विकास का नारा पंडित दीनदयाल जी से प्रेरित होकर ही दिया है जिसके दर्शन आज हम भारत सरकार द्वारा पंडित दीनदयाल जी के नाम पर चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं नें देख सकते हैं | भारत सरकार द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के सपनो को साकर करने के लिए उनके से निम्नलिखित योजनाओं का संचालन किया जा रहा है –
1-दीनदयाल अंत्योदय योजना- दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में देश में गरीबी को कम करना है. दीनदयाल अंत्योदय योजना को आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एच.यू.पी.ए.) के तहत शुरू किया गया था. भारत सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. वैसे यह योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) का एकीकरण है.
2-दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना- दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना पूरे ग्रामीण भारत को निरंतर बिजली की आपूर्ति प्रदान करने के लिए बनाई गई है. यह योजना नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की थी. भारत सरकार की प्रमुख पहलों में से एक है और विद्युत मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है. वैसे यह योजना मौजूदा राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) को प्रतिस्थापित करेगी, लेकिन राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना की सुविधाओं को डीडीयूजीजेवाई की नई योजना में सम्मिलित किया गया है.
3-दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले साल में ही 16 अक्टूबर 2014 को इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. यह देश में औद्योगिक विकास हेतु अनुकूल माहौल तैयार करने और श्रमिकों की दशा सुधारने के लिए शुरू किया गया था. इस योजना के तहत भविष्य निधि के सभी सदस्यों को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर जारी करने की घोषणा की गई है.
4-दीनदयाल उपाध्याय स्वनियोजन योजना- यह योजना उन लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जो स्वरोजगार यानि सेल्फ एम्प्लोयीमेंट चाहते हैं. कई लोग नौकरियों में सटीक नहीं बैठ पाते इस वजह से सरकार ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए इस योजना की शुरुआत की. यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में लॉन्च की थी.
राज्य सरकार की योजनाएं- केंद्र सरकार की इन प्रमुख योजनाओं के साथ ही राज्य सरकारों की योजनाएं भी इसमें शामिल है. इसमें
पंडित दीनदयाल ग्रामोद्योग रोजगार योजना
- दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना
- पं. दीनदयाल उपाध्याय स्वयं योजना
- दीनदयाल उपाध्याय स्वरोजगार योजना
- दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होमस्टे) विकास योजना
- दीनदयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना
- दीनदयाल उपाध्याय रसोई योजना
- दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना
- आदि शामिल है.