पुणे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को सही सोर्सिंग एग्रीमेंट विकसित नहीं करने के लिए भारतीय कॉरपोरेट्स को दोषी ठहराया है। उन्होंने चीन के साथ व्यापार असंतुलन पर चिंता जताते हुए कहा कि व्यापार असंतुलन की जिम्मेदारी व्यवसायों पर भी है। एशिया इकोनॉमिक डायलॉग में बोलते हुए एस जयशंकर ने कहा कि सरकार आत्मनिर्भर भारत पर जोर देने जैसी नीतियां लाकर अपना काम कर रही है।
व्यापार असंतुलन एक गंभीर मुद्द: विदेश मंत्री
चीन के साथ व्यापार असंतुलन से उत्पन्न चुनौती को बेहद गंभीर बताते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि व्यापार संतुलन को बनाने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है, बल्कि व्यवसायों की भी समान रूप से है।
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उन्होंने कहा, ‘भारतीय कॉरपोरेट्स द्वारा जिस तरह से एकीकरण, वेंडर सप्लाई, कंपोनेंट्स और पार्ट्स, इंग्रीडिएंट्स और इंटरमीडिएट का साथ हमें मिलना चाहिए वैसा हमें नहीं मिला।
विनिर्माण को कम करना देश के अच्छा नहीं: एस जयशंकर
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित बहुत से लोगों ने भारत को सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा है। इस मुद्दे पर एस जयशंकर ने चेतावनी दी कि जो लोग विनिर्माण को कम करने की बात करते हैं, वे ही वास्तव में भारत के रणनीतिक भविष्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 100 अरब डॅालर पार
बता दें कि भारत और चीन के बीच व्यापार 2022 में बढ़कर 135.98 अरब डॉलर के अबतक के उच्च स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 100 अरब डॉलर के पार हो गया।
चीन के सीमा शुल्क विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत-चीन व्यापार 2022 में 8.4 प्रतिशत बढ़कर 135.98 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। इससे पिछले साल यह आंकड़ा 125 अरब डॉलर था।