ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित एस सिटी सोसायटी में पांच साल तक बिजली बिल की अतिरिक्त वसूली की गई। बिल्डर ने कॉमन एरिया का बिजली बिल तीन साल तक निवासियों के साथ साझा नहीं किया। 2020 में कोरोना के दौरान सोसायटी के कॉमन एरिया का बिल उपभोक्ता नंबर से ऑनलाइन देखा तो मामले का खुलासा हुआ। निवासियों ने उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम में जनवरी 2021 में इसकी शिकायत की थी। कई दौर की सुनवाई के बाद फोरम ने अगस्त में आदेश सुरक्षित रख लिया था। इसे शुक्रवार को जारी किया गया। इसमें बिल्डर को वसूले गए अतिरिक्त चार्ज को निवासियों को छह प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने या समायोजित करने के लिए आदेश जारी किया।
सोसायटी के निवासी पवन कुमार ने बताया कि कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन बिल की सुविधा शुरू हुई। इसे देखा तो काफी गड़बड़ी नजर आईं। सोसायटी के 27 लोगों ने एकमत होकर बिल्डर के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इसमें पवन कुमार, उपेंद्र कुमार और विवेक तिवारी ने प्रतिनिधित्व किया। बिल्डर ने सोसायटी में आपूर्ति के लिए नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) से 1350 किलोवॉट का कनेक्शन लिया है। जबकि उसके सापेक्ष लगभग 10 गुना लोड (13500 किलोवॉट) निवासियों में डिस्ट्रिब्यूट किया हुआ है। बिल्डर 110 रुपये प्रति किलोवॉट के रेट से एनपीसीएल को 1350 किलोवॉट लोड का फिक्स्ड चार्ज देता है। वहीं निवासियों से 118.8 रुपये प्रति किलोवॉट के रेट से लगभग 13500 किलोवॉट लोड पर फिक्स्ड चार्ज वसूलता है।
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बिल्डर 7 रुपये प्रति यूनिट की दर से ही बिजली बिल वसूल सकता है, जबकि वह 7.56 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से ले रहा है। 0.56 पैसे प्रति यूनिट की अतिरिक्त वसूली से 8 से 10 लाख रुपये हर महीने ज्यादा वसूले जा रहे हैं। बिल्डर कॉमन एरिया के इलेक्ट्रिसिटी चार्ज को मेंटिनेंस में जोड़कर उसके ऊपर 18 प्रतिशत जीएसटी वसूल रहा है। जबकि इलेक्ट्रिसिटी चार्ज पर केवल 5 प्रतिशत ड्यूटी ली जाती है। कोर्ट के अनुसार बिल्डर को हर माह का बिजली बिल सोसायटी के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना चाहिए था। हर छह महीने के अंतराल में बिजली की खपत व निवासियों से वसूले गए चार्ज का ब्योरा एनपीसीएल के साथ साझा करना चाहिए था। इसके साथ ही बिल्डर को हर साल अपने बिजली संबंधी अकाउंट का ऑडिट सीए से कराकर निवासियों को साझा करना था।