देहरादून : शनिवार को देहरादून के मालदेवता में बादल फटने की घटना के बाद दो लापता दंपती के शव रविवार को बरामद कर लिए गए हैं। वहीं कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी रविवार को प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेने पहुंचे।
कुल मृतकों की संख्या हुई पांच
उत्तराखंड में भारी बारिश के बाद मची तबाही में अब कुल मृतकों की संख्या पांच हो गई है। वहीं अभी भी 12 लोग लापता है। जिनकी खोजबीन जारी है
मालदेवता क्षेत्र में आई आपदा में लापता ग्वाड़ सकलाना गांव के दंपती राजेन्द्र राणा (36) व उनकी पत्नी अनिता राणा (30) के शव रविवार को बरामद किए गए हैं।
एसडीआरएफ ने दोनों शवों को परिजनों के हवाले कर दिए हैं। कल आई आपदा के बाद ग्वाड़ गांव में मातम का माहौल है।
सरखेत के समीप ग्रामीणों के सात मकान जमींदोज हो गए हैं। यहां मलबे के ढेर में ग्रामीणों का सामान बिखरा पड़ा है। प्रभावित लोगों ने छह किलोमीटर दूर मालदेवता सड़क पर एक स्कूल में शरण ली है।
पूर्व मुख्यमंत्री भी पहुंचे सरखेत
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी रविवार को सरखेत पहुंचे। यहां उन्होंने प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के साथ ही ग्रामीणों से बातचीत भी की।
बांदल नदी के कटाव से बह गई रोड
लालपुल से ग्वाड़ सकलाना पंचायत (टिहरी ) के लिए जाने वाली रोड बांदल नदी के कटाव से बह गई है। यहीं से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, ग्रामीण, अधिकारी सात किलोमीटर पैदल चल प्रभावित गांवों में पहुंच रहे हैं। वहीं सरखेत में आई आपदा के बाद एनडीआरएफ की टीम भी राहत बचाव कार्य में जुट गई है।
शुक्रवार रात से शनिवार दोपहर तक हुई बारिश जानलेवा साबित हुई
बता दें कि उत्तराखंड के तीन जिलों पौड़ी, टिहरी और देहरादून में शुक्रवार रात से शनिवार दोपहर तक हुई बारिश जानलेवा साबित हुई।
तीनों जिलों में बादल फटने से नदी व बरसाती नालों के उफान और मलबे की चपेट में आकर दंपती समेत पांच की मौत हो गई है। जबकि 12 लोग लापता हैं। 13 लोगों को चोटें भी आई हैं। देहरादून में रायपुर थानों को जोड़ने वाला एक मोटर पुल टूट गया है।
आपदा प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य
रविवार को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने देहरादून के रायपुर क्षेत्र के कुमाल्डा, सरखेत, मालदेवता व उसके आस-पास आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया एवं स्थानीय लोगों से भेंट की।
उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तराखंड में बार- बार आपदा दस्तक दे रही बावजूद इसके सरकार सोई हुई है। उत्तराखंंड आपदा प्रभावित राज्य है जो कि भूकम्प, बादल फटने, अतिवृष्टि, भूस्खलन, कृत्रिम झील के फटने आदि आपदाओं की जद में रहता है।
यहां जगह-जगह भूस्खलन होने से सड़कें और रास्ते बंद हैं। परंतु विडंबना यह कि केंद्र और राज्य की डबल इंजन भाजपा सरकार आपदा प्रभावितों को मरहम लगाने के बजाय दौरे तक सीमित है। सरकार को राज्य में आपदा प्रबंधन की ठोस पहल करनी चाहिए।