उत्तर प्रदेश के ताजनगरी की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण का विग्रह दबे होने का दावा करते हुए गुरुवार को आगरा जिला अदालत में और एक वाद दायर किया गया. इससे पहले कथाकार देवकीनंदन ठाकुर की ओर से भी इस संबंध में याचिका दायर की गई थी.
इस मामले में अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने वाद में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेण्ट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ और जामा मस्जिद प्रबंधन कमेटी आगरा को प्रतिवादी बनाया है. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने वाद स्वीकार कर लिया गया है. वहीं कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 11 सितंबर की तारीख तय की है.
आगरा की शाही जामा मस्जिद पर विवाद
दरअसल जिला अदालत में दायर वाद में यह दावा किया गया है कि मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर (कटरा केशव राय मंदिर) को वर्ष 1670 में मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था. फिर उसके बाद उस जगह पर मस्जिद का निर्माण कर दिया गया. इतना ही नहीं मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित प्रभु श्रीकृष्ण और अन्य विग्रहों को औरंगजेब ने आगरा की शाही जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवा दिया था.
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दावों को लेकर तमाम प्रमाण पेश
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक वाद में अजय प्रताप सिंह ने अपने दावों को सच साबित करने के लिए तमाम प्रमाण भी पेश किए हैं. वहीं सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने वाद को लघुवाद न्यायाधीश (जज खफीफा) भारतेंदु गुप्ता की अदालत में ट्रांसफर कर दिया.
देवकी नंदन ने भी दायर किया वाद
बता दें कि इस मामले में पहले से ही भागवताचार्य कथा वाचक देवकी नंदन की ओर से दायर एक वाद भी लंबित है. उन्होंने इससे जुड़ा एक वाद 11 मई को दायर किया था. इस केस में अब तक तीन सुनवाई हो भी चुकी है. जानकारी के मुताबिक अगली सुनवाई 18 अगस्त को होनी है.