उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले की एक अदालत ने कुख्यात नक्सली लालव्रत कोल को प्रतिबंधित असलहा रखने के मामले में उम्रकैद और 330 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम एहसानुल्लाह खां की अदालत ने साढ़े 11 वर्ष पूर्व छिकड़ा जंगल में हुयी पुलिस मुठभेड़ के दौरान पकड़े गए कोल के पास से प्रतिबंधित असलहा बरामद होने के मामले में शुक्रवार को दोषसिद्ध पाकर यह सजा सुनाई। कोर्ट ने अर्थदंड न देने पर दो वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
लालव्रत कोल पर लगभग 85 मुकदमे दर्ज
बता दें कि एसपी सुभाष दुबे के नेतृत्व में 3 हार्डकोर नक्सलियों को 29 मई 2012 को गिरफ्तार किया गया था। नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा, लाल व्रत कोल और अजीत कोल की गिरफ्तारी के बाद से ही सोनभद्र में नक्सल वारदातों में कमी आयी थी। नक्सली लालव्रत कोल पर लगभग 85 मुकदमे दर्ज हैं। इसके अलावा नक्सली अजीत कोल और मुन्ना विश्वकर्मा पर दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं। यह तीनों ही नक्सली हार्डकोर माने जाते थे। इन्होंने दर्जनों हत्याएं और फिरौती की घटना को अंजाम दिया है। इन नक्सलियों का यूपी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंडऔर बिहार में आतंक था।
पुलिस ने झूठा आश्वासन देकर आर्म्स एक्ट समेत दूसरे मुकदमो में फंसाया
2023 में अपर सत्र न्यायाधीश एहसान उल्ला खान की अदालत में ही हत्या के मामले में मुन्ना विश्वकर्मा और नक्सली लालव्रत कोल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। आज फिर से आर्म्स एक्ट के मामले में लालव्रत कोल को आजीवन कारावास की सजा हुई है। दोनों ही सजा साथ साथ चलेगीं। वहीं, आजीवन कारावास की सजा पाने वाले लालव्रत कोल ने भी कहा कि पुलिस ने उसे झूठा आश्वासन देकर आर्म्स एक्ट समेत दूसरे मुकदमो में फंसाया है। वह पिछले 12 सालों से जेल में बंद हैं।