नोएडा। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अंतररराष्ट्रीय टेलीफोन एक्सचेंज का संचालन करने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर बृहस्पतिवार को सेक्टर-132 से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरोह द्वारा इंटरनेशनल वॉइस कॉल को निजी सर्वर में लैंड कराकर कॉल कराई जा रही थी। इससे भारत सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा था।
आठ लाख रुपये फ्रीज
नोएडा में संचालित इस गिरोह का सरगना गुरुग्राम का आशुतोष बोरा है, जो पूर्व रणजी खिलाड़ी है। मामले में नई सड़क थाना मूलगंज कानपुर के मोहम्मद शोएब व मिर्जापुर के अभिषेक श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया गया है। कब्जे से पांच सीपीयू, चार मोबाइल, वाईफाई राउटर, मैट्रिक्ससाफ्टवेयर, विभिन्न बैंकों के 45 डेबिट और क्रेडिट कार्ड बरामद हुआ है। विभिन्न खातों में आठ लाख रुपये फ्रीज कराए गए हैं। गिरोह पिछले दो वर्ष से सक्रिय था।
अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नोएडा राज कुमार मिश्रा ने बताया कि सेक्टर-132 स्थित बी-7 सिफी डाटा सेंटर में अवैध तरीके से टेलीफोन एक्सचेंज का संचालन होने की सूचना मिली थी। दूरसंचार विभाग एवं टाटा टेलिकॉम सर्विसेस लिमिटेड के सदस्यों के साथ मिलकर सेंटर पर छापेमारी कर गिरोह का भंडाफोड़ किया है।
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गिरोह का सरगना आशुतोष बोरा बीए पास है। वह झारखंड से अंडर-19 और अंडर-23 में रणजी ट्राफी क्रिकेट खेल चुका है, लेकिन क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन न होने के कारण धोखाधड़ी में संलिप्त हो गया।
नए खिलाड़ियोें को रणजी ट्राफी, आइपीएल खिलाने का लालच देकर पैसा ठगने लगा। वर्ष-2021 में इसी प्रकार की एक ठगी के केस में आशुतोष 22 मई को थाना आजाद मैदान मुंबई से जेल गया था। करीब तीन माह जेल में रहने के बाद जमानत पर छूटा था।
वहीं, अंशुलराज ने आठ लाख रुपये ठगने की शिकायत गुरुग्राम पुलिस से की थी। जिसके संबंध में थाना सेक्टर-50 गुरुग्राम (हरियाणा) में करीब दो वर्ष पूर्व मुकदमा पंजीकृत हुआ था। इस मामले में आशुतोष जेल गया था। तीन माह जेल में रहने के बाद छूटा था।
जेल में रहने के दौरान उसकी मुलाकात दिल्ली के सोनू कुमार से हुई थी। सोनू से आशुतोष ने अवैध टेलीफोन एक्सचेंज काम सीखा था। सोनू के माध्यम से आशुतोष बोरा की जान-पहचान दुबई में रहने वाले मास्टरमाइंड मोहम्मद अली से हुई थी। मोहम्मद अली का इसी प्रकार एक सर्वर दुबई में काम कर रहा है, जिसको आशुतोष ने अपने अवैध टेलीफोन एक्सचेंज से जोड़ रखा था।
देश की टेलीफोन व्यवस्था को बाइपास कर अंतरराष्ट्रीय फोन वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआइपी) से लोकल नेटवर्क पर परिवर्तित कर देश में कई जगह पर बात कराई जा रही थी। जिससे टेलीकाम कंपनी को राजस्व की हानि हो रही थी। फिरौती, हवाला आदि में भी प्रयोग किया जा रहा था। दो बच्चे गायब होने के संबंध में उनके घरवालों को इसी अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के माध्यम से कॉल किया गया था। इस संबंध में थाना पुराना औद्योगिक पानीपत (हरियाणा) इस वर्ष मुकदमा दर्ज है। इस मामले में आशुतोष वांछित था। मोहम्मद अली उसे 25 पैसे प्रति मिनट के हिसाब से हवाला के जरिये पैसा भेजता था।
आशुतोष के खिलाफ मुंबई, गुरूग्राम, पानीपत और नोएडा में करीब चार मुकदमे दर्ज हैं। गिरोह में शामिल अभिषेक श्रीवास्तव ने 12वीं पास है। उसने मिर्जापुर में रहकर कंप्यूटर हार्डवेयर एवं नेट बैकिंग का काम सीखा था। वर्ष-2021 में फेसबुक पर नौकरी के लिए एक विज्ञापन डाला था। उसके बाद उसको आशुतोष ने बुलाकर इंटरव्यू लिया। आ
शुतोष के कहने पर उसने अवैध टेलीफोन एक्सचेंज कोे इंटीग्रेटेड किया। अवैध टेलीफोन दुर्गा इंटरप्राइजेज के नाम पर चल रहा था, जो एक फर्जी कंपनी है। सेटअप का केयर टेकर मोहम्मद शोएब करता था। उसकी मुलाकात नेस्ट्रा कंपनी में हुई थी। इस काम के लिए अभिषेक को 80 हजार रुपये और मोहम्मद शोएब को 40 हजार रुपये मिलते थे।
ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा
आरोपित ने पूरा सेटअप बना रखा था। आरोपित टाटा टेलीकाम से कनेक्शन लेकर गेटवे के माध्यम से सर्वर में कनेक्ट कर इंटरनेट से कंट्रोल करते थे। इसके बाद इंटरनेशनल कॉलिंग को इंडिया में गेटवे के माध्यम से लैंड करवाते थे। इसमें विदेश की लोकेशन शो नहीं होती थी लेकिन टाटा टेलीकाम का नंबर नोएडा एसटीडी कोड से दिख रहा था।
खाड़ी देशों से आने वाले कॉल को कर रहे थे डायवर्ट
आरोपित खाड़ी देशों यानी सऊदी अरब, कतर, ओमान, कुवैत, ओमान बहरीन आदि से आने वाली कॉल को डायवर्ट कराकर दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों के लोगों को कॉलिंग करा रहे थे। खाड़ी देशों में रहने वाले लोग स्वजन से कम पैसे में बात कर रहे थे और आरोपितों ने दूरसंचार विभाग और भारत सरकार से अलग एक अपनी लाइन बना ली थी जिसका कुछ भी पैसा नहीं लगता था। इससे विदेश से कॉल करने वाले लोगों को कम पैसे में बात हो जाती थी। ऐसे में गिरफ्तार आरोपियों को जितना भी पैसा मिलता था वह पूरा लाभांश ही था।
केंद्र सरकार को हर माह 25 लाख का नुकसान
फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज से कंपनी को नुकसान तो हो ही रहा था। भारत सरकार को हर महीने करीब 25 लाख रुपये का नुकसान हो रहा था। आरोपित बिना भारत सरकार के परमिशन और बिना जानकारी के ही सर्वर और अन्य तकनीकी माध्यमों से अलग टेलीकाम लाइन चला रहे थे। इससे लोगों को तो लगता था कि यह नोएडा के नंबर से एक्सचेंज होकर उनके पास कॉल आ रही है, लेकिन ऐसा नहीं था।
इन धाराओं में दर्ज हुआ केस
गिरफ्तार आरोपितों के खिलाफ सेक्टर-126 कोतवाली में भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 419 (जो भी कोई प्रतिरूपण द्वारा छल करेगा), 420 (बेईमानी), 467 (फर्जी दस्तावेज बनवाकर), 468 (छल के प्रयोजन से कूटरचना-), 471 (इलेक्ट्रानिक रिकार्ड जाली), 120बी (जब दो या दो से अधिक व्यक्ति अपराध करने के लिए सहमत) के अलावा भारतीय तार अधिनियम और आइटी एक्ट की धाराओं में केस दर्ज कर जेल भेजा है।