थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब उनपर एक नया आरोप लगाने की तैयारी हो रही है। दरअसल, यहां के अभियोजकों ने बुधवार को बताया कि शिनावात्रा पर राजशाही को बदनाम करने का आरोप लगाया जाएगा, जबकि तीन महीने पहले उन्हें अन्य आरोपों में पैरोल पर रिहा किया गया था। इससे पूर्व पीएम की परेशानियां और बढ़ सकती हैं।
अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के प्रवक्ता प्रायुथ बेजरगुना ने कहा कि थाकसिन को अभी दोषी नहीं ठहराया जाएगा क्योंकि उन्होंने बुधवार को अपनी नियुक्ति को टालने के लिए एक अनुरोध दायर किया था, जिसमें उन्होंने यह सबूत दिया था कि वह कोविड से संक्रमित हैं।
18 जून को होगी सुनवाई
प्रायुथ ने बताया कि अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने 18 जून को थाकसिन के खिलाफ आरोप तय किए जाने के लिए नई तिथि निर्धारित की है। उन्होंने यह भी बताया कि थाकसिन पर कम्प्यूटर अपराध अधिनियम के उल्लंघन का भी आरोप लगाया जाएगा।
साल 2008 में लगा था भ्रष्टाचार का आरोप
दो बार थाईलैंड के प्रधानमंत्री रह चुके थाकसिन एक अरबपति नेता हैं, जो अक्सर विवादों में घिरे रहते हैं। थाकसिन ने साल 2001 से 2006 तक थाईलैंड के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। हालांकि, साल 2006 के सैन्य तख्तापलट में उन्हें इस पद से हटा दिया गया था। साल 2008 में थाकसिन पर भ्रष्टाचार और सत्ता के पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया, जिसके बाद वह थाईलैंड छोड़कर भाग गए थे और करीब 15 साल के आत्म-निर्वासन बाद, पिछले साल अगस्त में वापस अपने देश आ गए, जिसके बाद उन्हें उनके आरोपों के लिए सजा सुनाई गई। उन्होंने अपनी सजा का पूरा समय पुलिस के अस्पताल में बिताया, जिसके बाद विरोधियों ने उन पर विशेषाधिकार होने का भी आरोप लगाया है।
मिली थी शाही माफी
थाकसिन को अगस्त 2023 में भ्रष्टाचार के आरोप में आठ साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न ने शाही माफी दे दी, जिसके बाद उनकी सजा आठ साल से घटाकर एक साल कर दी गई थी। 22 अगस्त को जेल जाने के कुछ घंटे बाद ही थाकसिन ने सीने में जकड़न और उच्च रक्तचाप की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें बैंकॉक के एक पुलिस अस्पताल में भेज दिया गया था। थाईलैंड की गठबंधन सरकार ने 74 साल के थाकसिन शिनावात्रा की उम्र का हवाला दिया था, जिसके बाद उन्हें फरवरी में स्पेशल पैरोल पर रिहा किया गया। थाकसिन अपनी सजा पूरी होने के करीब छह महीने पहले ही हिरासत से रिहा हुए थे।
फिर से बढ़ सकती हैं मुश्किलें
हालांकि, अब एक बार फिर उनकी परेशानी बढ़ती दिख रही है। अटॉर्नी जनरल के कार्यालय का कहना है कि उसने इस बात की जांच फिर से शुरू कर दी है कि क्या थाकसिन ने लगभग नौ साल पहले राजशाही को बदनाम किया था। अगर मानहानि के आरोप सिद्ध होते हैं तो उन्हें 15 साल तक की जेल की सजा हो सकती है।
अधिकारियों ने बताया कि थाकसिन पर मूल रूप से 2016 में कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था, क्योंकि उन्होंने एक साल पहले दक्षिण कोरिया के सियोल में पत्रकारों से बात करते हुए टिप्पणी की थी। हालांकि थाकसिन ने आरोपों से इनकार किया था और खुद का बचाव करते हुए एक बयान जारी किया था।
दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत
प्रायुथ ने कहा कि अटॉर्नी जनरल के पास थाकसिन को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने कहा कि अभियोजकों ने अगले महीने अदालत में पेश करने के लिए अपने बयान और दस्तावेज तैयार कर लिए हैं।