बाराबंकी। पूर्व शिष्य को एफसीआइ में सुपरवाइजर की नौकरी दिलाने के नाम पर गुरुजी ने साथी के साथ तीन लाख, 55 हजार रुपये ठग लिए। पीड़ित को बाकायदा फर्जी नियुक्ति पत्र भी भेज दिया। अब पांच लाख रुपये मांग रहे ठगों को पीड़ित युवक ने बुलाकर पुलिस से पकड़ा दिया। न्यायालय में पेश किए गए आरोपितों को जेल भेज दिया गया है।
देवा थाना के ग्राम नरैनी में रहने वाले भानु प्रताप सिंह बाइक रिपेयरिंग की दुकान करते हैं। भानु का आरोप है कि उन्हें कक्षा आठ तक पढ़ाने वाले वासखंड मजरे कासिमगंज के उदयभान वर्मा ने एफसीआइ में नौकरी दिलाने के नाम पर कानपुर के कोयलानगर निवासी आलोक श्रीवास्तव से कानपुर ले जाकर मिलवाया।
इसके बाद 30 मई, 2022 को आलोक के गाजियाबाद स्थित बैंक शाखा के खाते में 25 हजार व उदयभान के साले के खाते में पांच हजार रुपये आनलाइन दिए। छह जून का फिर आलोक के खाते में एक लाख व 20 जुलाई को उदयभान वर्मा को डेढ़ लाख रुपये दिए। इसके अलावा कई टुकड़ों में पैसे दिए। उसे डाक के माध्यम से फर्जी नियुक्ति पत्र भेज दिया गया। फिर उससे पांच लाख रुपये की मांग करने लगे।
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शक होने पर भानु ने दोनों को रुपये देने के लिए बुलाया और पुलिस को सूचना देकर गिरफ्तार करा दिया। एएसपी दक्षिणी डा. अखिलेश नारायण सिंह ने बताया कि आरोपितों पर मुकदमा लिखकर न्यायालय में पेश किया गया, जहां दोनों को जेल भेजा गया है।
ऐसे हुआ शक
पीड़ित ने बताया कि नियुक्ति पत्र डाक से आने की बात कही गई थी। उसे बताया गया कि उन लोगों ने डाक को कानपुर में प्राप्त कर लिया है। उससे पांच लाख रुपये लेकर आने और नियुक्ति पत्र ले जाने की बात कही। यही नहीं, इससे पहले उसे वाट्सएप पर नियुक्ति पत्र की फोटो तक भेज दी गई थी। इसलिए कानपुर न जाकर पीड़ित ने उन्हें बाराबंकी बुलाया और पकड़ाया।
मास्टर माइंड फरार
पूछताछ में पता चला कि फर्जी नियुक्ति पत्र बनाने वाला आरोपित कानपुर का रहने वाला है। यह गिरोह नौकरी का झांसा देकर पांच से सात लाख रुपये ठगता था। आरोपितों ने तीन लोगों से ठगी की बात स्वीकार की है। मास्टर माइंड की तलाश की जा रही है।