इस बार श्री झंडेजी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का मौका पंजाब के परिवार को मिला है। परिवार की सुख-समृद्धि के लिए संसार सिंह ने 30 साल पहले श्री झंडेजी पर गिलाफ चढ़ाने की मन्नत मांगी थी। संसार सिंह इस समय अपनी बेटी के पास अमेरिका में हैं। उन्हें जब पता चला कि इस बार गिलाफ चढ़ाने के लिए उनके परिवार का नंबर आया है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
लुधियाना निवासी संसार सिंह के बेटे बलविंदर जीत सिंह ने बताया कि पिताजी खेती-बाड़ी करते थे। पिताजी की श्री दरबार साहब से कामना थी कि उनके भरे पूरे परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि बरकरार रहे। इसीलिए उन्होंने श्री झंडेजी पर गिलाफ चढ़ाने की मन्नत मांगी। जब पिताजी ने मन्नत मांगी थी उस समय हम भाई-बहनों की उम्र करीब 20 साल थी।
उन्होंने बताया कि उनके पिताजी और माताजी अभी बहन के पास अमेरिका गए हैं। उनकी उम्र करीब 80 साल हो चुकी है। जब उन्हें पता चला कि इस बार हमारे परिवार का नंबर आया है, तब वह भारत में ही थे। यह सुनकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। वह खुद चल कर श्री दरबार साहब आए और गिलाफ के लिए धनराशि दी। बलविंदर जीत सिंह ने कहा कि श्री झंडेजी पर गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया को हम उन्हें लाइव दिखाएंगे।
श्री दरबार साहब के सेवादार जीवन सिंह ने बताया कि श्री झंडेजी पर 22 शनील के कपड़े के गिलाफ चढ़ाए जाते हैं। इसमें 22वां गिलाफ सबसे ऊपर रहता है। वह दर्शनी गिलाफ होता है। इसके लिए लाखों लोग मन्नत मांगते हैं। इसके अलावा सूती और रेशमी कपड़े के गिलाफों की संख्या एक हजार से 1500 तक रहती है। श्री झंडेजी के गिलाफ की लंबाई करीब 30 मीटर और चौड़ाई डेढ़ से दो मीटर तक होती है। दर्शनी गिलाफ में झूमर, पताका, गोटा, चौर आदि लगाए जाते हैं।
लुधियाना निवासी जसंवत सिंह, शीतो, मंगप्रीत और सुखबीर सिंह अपने परिवार के साथ श्री दरबार साहब में माथा टेकने हर बार आते हैं। जसवंत सिंह का कहना है कि वह चाहते हैं कि श्री दरबार साहब की कृपा उनके परिवार पर बनी रहे। ऐसे ही वह हर साल यहां आते रहेंगे।
अपने दो बच्चों और पति के साथ श्री दरबार साहब आई हूं। मेरी मन्नत थी कि बेटी की शादी हो जाए। बेटी की शादी के पहले भी वह श्री दरबार साहब आती थीं और अब भी श्री दरबार साहब में एक सप्ताह तक रहकर जाएंगी।
– अमरजीत कौर, लुधियाना
मेरा बेटा बीमार था। बेटे की तबीयत इतनी ज्यादा खराब थी कि डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया था। उस समय हमने श्री दरबार साहब में माथा टेका था और मन्नत मांगी थी। अब उनका बेटा स्वस्थ है।
– अमनदीप कौर, लुधियाना