इंडिया एक्सो सेंटर में आईएआरपीएमए द्वारा आयोजित तीन दिपसीय पेपरेक्स’ का उद्घाटन*
ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सो सेंटर में आज तीन दिवसीय पेपरेक्स का उद्घाटन हुआ। इंडिया एग्रो एंड रिसाइकिल्ड पेपर मेनुफेकचरर्स एसोसियेशन – आईएआरपीएमए द्वारा आयोजित किया जाने वाला पेपरेक्स इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस एवं इग्ज़ीबिशन दुनिया में पेपर सेक्टर के बड़े कॉन्फ्रेंस में शुमार है। कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत कराड ने किया।
उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए डॉ कराड ने कागज उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में कृषि अवशेषों के नवाचार और बिजली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा, भारत में कागज की खपत को बढ़ावा देने की जरूरत है। बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने और भारत को कागज विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश में कागज उत्पादन को 7-8 गुना बढ़ाने की जरूरत है। वर्तमान में भारत में कागज के वैश्विक उत्पादन का केवल 4-5 फीसदी हिस्सा है। उन्होंने कहा, पेपरेक्स जैसे आयोजन से आम लोगों व छोटे उद्यमियों को कागज से जुड़ी विस्तृत जानकारी, नई तकनीकों और इसमें निहित अवसरों से रूबरू होने का अवसर मिलेगा।
मौके पर आईएआरपीएमए के अध्यक्ष श्री प्रमोद अग्रवाल ने कहा, ‘‘कागज उद्योग ने दो साल में मांग में कमी का खामियाजा उठाया है क्योंकि शैक्षणिक संस्थान और कार्यालय काफी समय से बंद थे। अब मांग तेजी से बढ़ रही है। हालांकि, कच्चे माल की उपलब्धता और इसकी कीमत चिंता का विषय बनकर उभरी है। वेस्ट कागज आधारित उद्योगों को 20 मिलियन टन से अधिक वेस्ट कागज की आवश्यकता होती है, लेकिन घरेलू स्तर पर केवल 12 मिलियन टन ही उपलब्ध हैं। प्रमोद अग्रवाल ने देश में वेस्ट कागज की उपलब्धता को बढ़ाने की जरूरत की बात पर जोर दिया।
इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) के अध्यक्ष, श्री ए.एस. मेहता ने कहा, ‘‘कागज की खपत का सीधा संबंध अर्थव्यवस्था की वृद्धि से है। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला कागज बाजार भी है। उद्योग द्वारा देश के हरित आवरण को मजबूत करने, ग्रामीण आजीविका पैदा करने और कृषि आय को बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 12 लाख हेक्टेयर से अधिक बड़े पैमाने पर निम्नीकृत भूमि को वृक्षारोपण के तहत लाया गया है। गौरतलब है कि भारत का कागज उद्योग वुड पॉजिटिव है।’’
तीन दिवसीय पेपरेक्स इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस एवं इग्ज़ीबिशन की थीम महामारी के बाद विकास और रीस्ट्रक्चरिंग रखी गई है। इस 15वें अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में महामारी के बाद के दौर में सभी उपलब्ध अवसरों का लाभ लेने के साथ ही नई टेक्नोलॉजी व प्रक्रियाओं के माध्यम से भारतीय पेपर उद्योग में सतत विकास के रोडमैप पर चर्चा हो रही है। इसके अलावा कागज उद्योग व इससे जुड़ी योजनाओं, नई तकनीकों पर आधारित मशीनो इत्यादि सहित पेपरेक्स में आगंतुकों के लिए काफी कुछ है।
शिक्षा एवं साक्षरता पर जोर के साथ संगठित रिटेल में विकास एवं बेहतर गुणवत्ता के कागज की मांग ने इस सेक्टर के विकास को गति दी है। एफएमसीजी प्रोडक्ट, फार्मा, टेक्सटाइल, ऑर्गनाइज्ड रिटेल, बढ़ते ई-कॉमर्स और अन्य सेगमेंट से क्वालिटी पैकेजिंग की मांग लगातार आ रही है।
यहां मौजूद विविधताओें के बीच एंड टू एंड पेपर बैग मेंकिंग मशीन सभी के आकर्षण का केन्द्र है, जो रेडिमेड उत्पाद बनाकर देती है। व्यापक स्तर पर इसके लिए कम से कम 2 करोड़ की लागत और अच्छे स्पेस की आवश्यकता है जिसके बाद आप पेपर बैग बनाने का काम आसानी से शुरू कर सकते हैं।
श्री प्रमोद अग्रवाल ने कहा, कागज उद्योग में विकास की व्यापक संभावनाएं हैं। ग्राहक अब नॉन-बायोडिग्रेडेबल विकल्पों के बजाय कागज को प्राथमिकता देने लगे हैं, ताकि सिंगल यूज प्लास्टिक के बजाय काग़ज़ का विकल्प सुगम रहे। ग्राहकों के इस बदलते रुख के कारण कागज की मांग 2027 तक 30 मिलियन टन हो जाने का अनुमान है।