युवती के साथ हैवानियत करने वाले दरिंदों के मंसूबे बेहद खौफनाक थे। वह न सिर्फ उसका शरीर नोंचना चाहते थे, बल्कि दरिंदगी के बाद उसे बेचने की फिराक में भी थे। आरोपियों द्वारा संपर्क करने पर दो खरीदार भी आ गए, लेकिन युवती की हालत नाजुक देख वह पीछे हट गए। आरोपी युवती को बेचने के लिए किसी और ग्राहक से संपर्क करते, इससे पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
पीड़ित युवती की मां का कहना है कि आरोपियों ने दो दिन तक उनकी बेटी को जंगल में रखकर गैंगरेप किया और फिर एक आरोपी की बहन के घर ले जाकर दरिंदगी की। आरोपियों ने उनकी बेटी के शरीर को दांतों से बुरी तरह काटा और बीड़ी-सिगरेट से उसे दागा भी। इसके बाद आरोपियों ने उनकी बेटी को बेचने की योजना बनाई। दो लोग उनकी बेटी को खरीदने आए थे।
आरोपियों ने उनसे दो लाख रुपये मांगे, लेकिन उनकी बेटी की हालत इतनी नाजुक थी कि खरीदारों ने इनकार कर दिया। इसके बाद आरोपी अन्य ग्राहक तलाशने लगे, लेकिन इसी बीच पुलिस मौके पर पहुंच गई और आरोपियों को धर-दबोचा। पीड़ित युवती ने बताया कि आरोपी पहले तो उसे बेचने की बात कर रहे थे, लेकिन जब खरीदारों ने इनकार कर दिया तो वह उसे मौत के घाट उतारने की बात करने लगे।
हालत देखकर अस्पताल का स्टाफ भी रोया
युवती की मां का कहना है कि आरोपियों ने उनकी बेटी के साथ इस कदर दरिंदगी की कि वह ढाई महीने बात भी शारीरिक कष्ट झेल रही है। दो-दो ऑपरेशन होने के चलते वह चलने-फिरने में भी असमर्थ है। उनका कहना है अस्पताल ले जाने पर उनकी बेटी की हालत देखकर नर्सें भी रो पड़ी थीं। साथ ही डॉक्टरों ने भी अफसोस जाहिर किया था।
पागलों की तरह चीखने लगती है बेटी… वह मुझे मार डालेंगे
पीड़ित युवती की मां का कहना है कि घटना का उनकी बेटी पर मानसिक असर पड़ा है। वह अस्पताल में उपचार के दौरान भी चीखती-चिल्लाती रहती थी। ढाई महीने बाद भी वह पागलों की तरह चीखने लगती है। सहमी हालत में वह कहती है कि वो लोग आ गए हैं। वो उसे मार डालेंगे। मां का कहना है कि बेटी की यह हालत देखकर वह और बेटे भी कोने में जाकर रोने लगते हैं। घटना के बाद से उनकी बेटी बदहवास हालत में रहती है।
इलाज में हो गया कर्जा, डीएम ने दिया आश्वासन
पीड़ित मां का कहना है कि उन्होंने अपने जेवर व अन्य सामान बेचकर बेटी का इलाज कराया। पैसों के अभाव में वह बेटी को अस्पताल से घर ले आईं। लेकिन ढाई महीने बाद भी उसका रक्तस्राव बंद नहीं हुआ है। उनका कहना है कि कभी किसी से हजार तो किसी से 500 रुपये लेकर बेटी का इलाज करा रही हैं। इलाज में करीब दो लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। वह कर्जदार हो गई हैं। पीड़ित मां का कहना है कि डीएम ने उन्हें आर्थिक मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।
पुलिसकर्मियों के जेल जाने पर ही मिलेगा सुकून: पीड़िता
पीड़ित युवती का कहना है कि पुलिस उसे आधी रात को आधार कार्ड लेने के लिए नहीं भेजते तो वह दरिंदगी का शिकार नहीं होती। उसका कहना है कि दरिंदे उसकी हालत के दोषी हैं तो पुलिसकर्मी इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं। ढाई महीने बाद तीन पुलिसकर्मियों के निलंबित होने की बात सुनकर थोड़ी राहत मिली, लेकिन उनके जेल जाने के बाद ही उसे सुकून मिलेगा।
पुलिस से यह सवाल पूछ रहा पीड़ित परिवार
– आधी रात को युवती को आधार कार्ड लाने के लिए मजबूर क्यों किया।
– बिना आधार कार्ड के युवती के मां व भाई को नहीं छोड़ा जा सकता था तो युवती के न लौटने पर दोनों को कैसे छोड़ दिया गया।
– पुलिस को कैसे पता चला कि उसका अपहरण हो गया है और उसे कहां रखा गया है।
– युवती किस घर में है, यह पुलिस को कैसे पता चला।