लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर लम्बे समय से चल रहे मतांतरण के प्रकरण में एसआइटी (विशेष जांच दल) के रडार पर आए सीनियर आइएएस अफसर मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन ने सरकारी आवास के दुरुपयोग की बात स्वीकार कर ली है। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम (रोडवेज) के चेयरमैन तथा कानपुर के पूर्व मंडलायुक्त मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन ने माना कि मतांतररण को लेकर वायरल विवादास्पद वीडियो उनके सरकारी आवास के ही हैं।
एसआइटी (विशेष जांच दल) की पूछताछ में आइएएस इफ्तिखारुद्दीन ने वीडियो उनके कानपुर मंडलायुक्त आवास के ही होने की बात स्वीकार की है। इसके साथ यह भी कहा है कि यह वीडियो रमजान के हैं। वह टीम से पूछताछ के दौरान वह मतांतरण संबंधी कोई बात करने से बार-बार इन्कार करते रहे। एसआइटी वायरल वीडियो में कही जा रही धार्मिकबातों का परीक्षण आल इंडिया सॢवस कंडक्ट रूल्स के अनुरूप भी कर रही है। जल्द एसआइटी अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपने की तैयारी में है।
डीजी सीबीसीआइडी जीएल मीणा की अध्यक्षता में गठित दो सदस्यीय एसआइटी ने बुधवार को लखनऊ में आइएएस अफसर इफ्तिखारुद्दीन से लंबी पूछताछ की थी। इसके बाद गुरुवार शाम करीब चार बजे उनसे पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ। इस दौरान इफ्तिखारुद्दीन की पत्नी व परिवार के दो अन्य सदस्य भी उनके साथ सीबीसीआइडी मुख्यालय पहुंचे थे। एसआइटी में शामिल एडीजी कानपुर जोन भानु भाष्कर ने इफ्तिखारुद्दीन से वायरल वीडियो व उनकी किताबों को लेकर सिलसिलेवार पूछताछ की है।
इस दौरान खासकर यह जानने का प्रयास किया गया कि उनके साथ वीडियो में नजर आ रहे अन्य लोग कौन हैं और उनका इफ्तिखारुद्दीन से कब से जुड़ाव है। कानपुर मंडलायुक्त के सरकारी आवास पर हुए धार्मिकआयोजन में किस तरह की बातें की गई थीं। दूसरी ओर एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी का कहना है कि सेवा आचरण नियमावली के अनुसार किसी धर्म को मानने अथवा कोई धार्मिकआयोजन करने पर कोई पाबंदी नहीं है। एक लोकसेवक को पद पर रहते हुए किसी धर्म विशेष का प्रचार-प्रसार करना अथवा किसी धर्म विशेष के आयोजन में जाकर कोई भाषण देने की अनुमति नहीं है। एक अन्य अधिकारी कहते हैं कि इस दौरान यदि कोई लोकसेवक किसी धर्म के विरुद्ध कोई बात कहता है अथवा लिखता है तो वह कृत्य नियमावली के तहत दंडनीय है। मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन 17 फरवरी 2014 से 22 अप्रैल 2017 तक कानपुर के मंडलायुक्त के पद पर तैनात रहे थे।
किताबों को लेकर भी हुए सवाल-जवाब
एसआइटी मतांतरण के प्रकरण में यह भी देख रही है कि इफ्तिखारुद्दीन ने अपनी किताबों में किस तरह की धार्मिकबातों को लिखा है। आइएएस सेवा में रहते इन किताबों के प्रकाशन को लेकर कोई अनुमति ली गई थी अथवा नहीं।
एसआइटी ने रखे 80 वीडियो
इफ्तिखारुद्दीन से एसआइटी पूछताछ के दौरान उनके 80 वीडियो दिखाए और सवाल किए। एसआइटी ने चार दिनों तक कानपुर में रुककर विवादित वीडियो जुटाए थे। करीब 30 लोगों से पूछताछ हुई, जिसमें मंडलायुक्त कार्यालय व आवास के कर्मचारी भी शामिल थे।