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अगर आपको हो रही है बेचैनी तो एक गिलास पानी इसे कम कर सकता है जानिए कैसे?

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नई दिल्ली। बेचैनी या चिंतित महसूस कर रहे हैं? जो ख़ुद को शांत करने के लिए आपको सिर्फ एक गिलास पानी की ज़रूरत है और आपकी बेचैनी प्राकृतिक तरीके से दूर हो जाएगी। ज़्यादातर लोगों की ज़िंदगी में ऐसे कई पड़ाव आते हैं, जब वे परेशान, स्ट्रेस्ड, घबराहट और डर महसूस करते हैं। दुनिया में लाखों ऐसे लोग हैं, जो चिंता से जुड़ी स्थितियों से पीड़ित होते हैं। पिछले कुछ सालों में ऐसा देखा गया है कि सबसे ज़्यादा 15 से 24 साल की उम्र वाले लोग चिंता के शिकार हो रहे हैं।

पोषण संबंधी मनोरोग का बढ़ता क्षेत्र हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर खाने और ड्रिंक्स के प्रभावों पर केंद्रित है। मानव शरीर में 60-80% पानी होने के बावजूद, इसे अक्सर एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व के रूप में अनदेखा कर दिया जाता है। फेड्रल स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा हाल ही में किए गए एक ट्वीट में कहा गया है कि पानी काफी हद तक चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।

यहां तक कि, सबूत बताते हैं कि पानी और हाइड्रेशन चिंता के लक्षणों को रोकने और प्रबंधित करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

गर्मी के मौसम में ठंडे पानी को पीकर जो एहसास होता है उसे हम सभी पसंद करते हैं। हमारा शरीर इस करह प्रोग्रेम्ड है जिससे हमें पता चल जाता है कि कब पानी पीने का समय हो गया है।

कई साल पहले, शोधकर्ताओं के एक समूह ने एक समीक्षा की, जिसका फोकस यह था कि हाइड्रेशन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसके परिणाम काफी आशाजनक थे। कुल मिलाकर यह बात सामने आई कि पानी की कमी के साथ गुस्सा, शत्रुता, भ्रम और तनाव के साथ-साथ थकान जैसी नकारात्मक भावनाएं बढ़ती हुई दिखीं।

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ट्रायल में शामिल प्रतिभागियों को डीहाइड्रेट किया गया और पाया गया कि कैसे तनाव, थकावट और बेचैनी उनमें बढ़ने लगी। रिसर्चर्ज़ ने पाया कि जो लोग खूब सारा पानी पीते हैं, उनका पानी का स्तर जब कम हो जाता है, तो वे कम शांत, कम संतुष्ट और अधिक तनाव महसूस करते हैं।

जब शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के पानी की मात्रा बढ़ाई, तो वे खुश महसूस करने लगे।

एक दूसरी स्टडी में पाया गया कि जो लोग 5 या उससे गिलास पानी पीते हैं, उनमें तनाव और बेचैनी का जोखिम कम हो जाता है। वहीं, अगर दो गिलास से भी कम पानी पिया जा रहा है, तो यह ख़तरा दोगुना हो जाता है।

पानी क्यों है ज़रूरी?

शरीर के अंग का काम पानी पर निर्भर करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मस्तिष्क के ऊतकों का 75% हिस्सा पानी है, पानी की कमी मस्तिष्क में ऊर्जा उत्पादन को कम करता है और मस्तिष्क की संरचना को बदल सकता है, जिससे मस्तिष्क धीमा हो जाता है और ठीक से काम नहीं करता है। अगर पानी का स्तर बहुत कम है, तो हमारे मस्तिष्क की कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पातीं।

हमारी कोशिकाएं पानी की कमी की स्थिति को अस्तित्व के लिए ख़तरे के रूप में पहचानती हैं, जिससे चिंता की स्थिति पैदा होती है। सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर (मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच एक रासायनिक संदेशवाहक) है जो हमारे मूड को स्थिर करता है और भावनाओं को नियंत्रित करता है। पानी की कमी के दौरान, हम अपने मस्तिष्क में सेरोटोनिन उत्पन्न करने के लिए आवश्यक रसायनों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं।

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शरीर में अगर सिर्फ आधा लीटर पानी की कमी भी है, तो भी इससे तनाव हार्मोन कोर्टिसोल बढ़ सकता है, जो चिंता सहित कई मानसिक विकारों से जुड़ा हुआ है।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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