ग्रेटर नोएडा: देश में अब हाई स्पीड इंटरनेट की क्रांति आ गई है. सस्ते और बेहतर ऑप्शन आम जनता के पास उपलब्ध हैं. किसी जमाने में एक जीबी डाटा पूरे महीने चलता था. वहीं अब तो एक दिन में लोगों को पांच-पांच जीबी तक की सुविधा मिल रही है, और ये पॉसिबल हुआ मार्केट में प्रतिस्पर्धा के कारण. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट की एक सोसाइटी में आम जनता इंटरनेट जैसी बेसिक सुविधा के लिए भी बिल्डर से लड़ रहे हैं. लोगों की नौकरी जा रही है, लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. डीएम के आदेश और संविधान भी यहां फेल होता दिखाई देता है.
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसाइटी पंचशील ग्रीन्स में 8 हजार लोग रहते हैं. देश में जब कोरोना ने दस्तक दी, तो अधिकतर देश का काम इंटरनेट और ऑनलाइन सेवाओं पर निर्भर हो गया, लेकिन इस सोसाइटी में इंटरनेट की कमी के कारण परेशान रहे. दीपांकर कुमार इस सोसाइटी में पांच साल से रह रहे हैं. वो बताते है कि यहां पर आईटी सेक्टर में काम करने वाले लोग हैं, सबका काम इंटरनेट से ही चलता है. लेकिन यहां पर जानबूझकर स्पर्धा कानून का मजाक उड़ाया जाता है. यहां इंटरनेट स्पीड इतना कम है कि आप कुछ केबी के डाटा का भी इस्तेमाल नहीं कर सकते. कई बार बिल्डर को शिकायत दी है. डीएम, सांसद विधायक सबसे मिल चुके हैं. डीएम ने चिट्ठी भी लिखी की यहां पर अन्य सर्विस प्रोवाइडर को काम करने दिया जाए, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.
गाजियाबाद में लकड़ी के गोदाम में लगी भीषण आग
खतरे में नौकरी, प्रमोशन में दिक्कत
यहां रहने वाले मुकेश बताते है कि मैंने 40 लाख का फ्लैट खरीदा था. अब यहां पर हमें इंटरनेट के लिए तीन से चार मोबाइल और सिम कार्ड रखना पड़ता है. क्योंकि यहां इंटरेंट काम नहीं करता. बिल्डर ने अपना कोई कनेक्शन दिया हुआ है, जो ग्लोबल सर्विस प्रोवाइडर है. उसको यहां घुसने नहीं दिया जाता. ऐसे में कई दिक्कत आती हैं. ऑफिस के काम करने में दिक्कत आती है. प्रमोशन में दिक्कत हुई. क्योंकि इंटरनेट की वजह से काम समय पर नहीं कर पाया.
ऑफिस की कोई मीटिंग ज्वाइन करनी हो तो दोस्तों के यहां जाता हूं, लेकिन वो भी कितने दिन तक काम आएंगे. पंचशील ग्रीन्स के सीईओ अंकुर नागर का कहना है कि मुझे इसकी जानकारी नहीं थी, अब पता चला है अब निवासियों से बात करते हैं की मामला क्या है.