नई दिल्ली। जहांगीरपुरी हिंसा मामले में शनिवार को दिल्ली पुलिस ने नौ आरोपितों को रोहिणी कोर्ट में पेश किया था। इसमें कोर्ट ने उन चार आरोपितों को जिन पर एनएसए के तहत कार्रवाई हुई थी, आठ दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। इन चारों में अंसार, सोनू, सलीम, दिलशाद और अहीर शामिल हैं। जबकि हिंसा में शामिल बाकी अन्य पांच आरोपितों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
दरअसल, 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के धार्मिक जुलूस के दौरान जहांगीरपुरी हिंसा हुई थी। इसमें मुख्य आरोपी असलम व अंसार हैं। जिन्होंने शोभायात्रा के दौरान पथराव व फायरिंग की थी। हिंसा के दौरान आठ पुलिस कर्मियों और एक नागरिक सहित नौ लोग घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि मुख्य आरोपी अंसार और असलम को 15 अप्रैल के दिन निकने वाली शोभा यात्रा के बारे में जानकारी पहले से थी।
वहीं, प्रत्यक्षदर्शी और इलाके में रहने वालों की मानें तो अंसार ही इस पूरे दंगे का मुख्य साजिशकर्ता है। जुलूस की गाड़ी खींच रहे सुरेश ने कहा कि अंसार हिंसा से पहले शोभायात्रा का विरोध करने वाले लोगो का नेतृत्व कर रहा था और भीड़ को भड़का रहा था। अंसार ने उन्हें धक्का देकर जुलूस को रोकने के लिए कहा। क्राइम ब्रांच ने 10 हजार से अधिक नंबरों के डंप डाटा को भी स्कैन किया है जो हमले के समय क्षेत्र में सक्रिय थे। इसके अलावा इलाके के जो छुटभैया बदमाश है वो सब इलाके से गायब है, उन सभी के नंबर बंद है। ये भी पता चला है कि इसमें से अधिकतर या तो बांग्लादेश भाग गए हैं ये किसी दूसरे राज्य में जाकर छिप गए हैं।
जिस तरह से उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे के मामले में पीएफआई व अन्य जगहों से दंगाइयों को करोड़ो की फंडिंग की बात सामने आई थी। हो सकता है उसी तरह जहांगीरपुरी मामले में भी दंगे के लिए फंडिंग हुई हो। इसके धन के सोर्स का पता लगाने के लिए पुलिस आयुक्त ने ईडी को भी जांच करने का अनुरोध किया है। दंगे की आपराधिक साजिश रचे जाने के मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर ही रही है।
दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने ईडी निदेशक को पत्र लिखकर जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपित अंसार के खिलाफ धन-शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। दिल्ली पुलिस को शक है कि अंसार ने कई तरह के काले कारनामे के बदौलत अकूत संपत्ति अर्जित की है।