नोएडा। नोएडा विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर हाथ को लोगों साथ नहीं मिला। पूर्व के चुनाव के लिहाज ये इस बार कांग्रेस की सबसे बुरी हार हुई है। प्रत्याशी के महिला और युवा होने का जादू भी पार्टी की साख बचाने में नाकाम रहा। वहीं ब्राह्मण और यादव कार्ड भी नहीं चल सका।
किसी भी क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक को प्रभावपूर्ण वोट नहीं मिल सके। पार्टी के भितरघात का असर भी साफ तौर पर देखने को मिला। पंखुड़ी पाठक 13 हजार 483 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहीं। हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बसपा में शामिल होकर चुनाव लड़े कृपाराम शर्मा को भी उनसे अधिक वोट मिले।
लड़की हूं लड़ सकती हूं अभियान के तहत पंखुड़ी पाठक को नोएडा से कांग्रेस ने प्रत्याशी के तौर पर उतारा था। सेक्टर से लेकर गांव, कच्ची कालोनी और झुग्गियों तक में पंखुड़ी ने खासी सक्रियता दिखाई। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी लोगों तक कांग्रेस की नीतियों को पहुंचाने का कार्य किया।
महिलाओं को सशक्त बनाने का विधान लेकर चुनावी मैदान में आईं प्रियंका गांधी वाड्रा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने भी नोएडा में पंखुड़ी पाठक के लिए प्रचार किया, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं मिल सका। पार्टी के भितरघात और युवाओं का साथ न होना हार का सबसे बड़ा कारण बना।
स्थानीय कांग्रेसी और युवा नेता पंखुड़ी पाठक के लिए प्रचार करने के बजाय अपने चहेते और रिश्तेदारों के चुनाव प्रचार में जुटे रहे। हालत यह रही कि पूर्व पदाधिकारी चुनाव प्रचार में सिर्फ उस समय नजर आए, जब पार्टी के बड़े नेता नोएडा में थे। पंखुड़ी पाठक का ब्राह्मण होना और उनके पति अनिल यादव का पहले सपा से कांग्रेस में आने पर यादव फैक्टर भी काम नहीं आया।