नई दिल्ली। दिल्ली की अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर झटका दिया है। कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें केजरीवाल ने जेल अधिकारियों को इंसुलिन देने का निर्देश देने और शुगर लेवल के घटने-बढ़ने को लेकर रोज 15 मिनट के लिए डॉक्टर के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से परामर्श देने की अनुमति की मांग की थी।
स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने निर्देश दिया कि अरविंद केजरीवाल को उचित चिकित्सा उपचार प्रदान किया जाना चाहिए। केजरीवाल को किसी विशेष परामर्श की आवश्यकता के मामले में जेल अधिकारी एम्स निदेशक द्वारा गठित एक मेडिकल बोर्ड को नियुक्त करेंगे, जिसमें एक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और एक मधुमेह विशेषज्ञ शामिल होंगे।
इंसुलिन को लेकर मेडिकल बोर्ड लेगा निर्णय
उन्होंने कहा कि मेडिकल बोर्ड को यह तय करना है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को इंसुलिन दिया जाना चाहिए या नहीं। अदालत ने कहा कि मेडिकल बोर्ड एक निर्धारित आहार और एक एक्सरसाइज प्लान पर भी निर्णय लेगा, जिसका नियमित पालन किया जाना चाहिए। मेडिकल बोर्ड द्वारा निर्धारित आहार योजना में कोई बदलाव नहीं होगा।
19 अप्रैल को कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित
बता दें, सीएम केजरीवाल ने इंसुलिन देने और रोज 15 मिनट वीसी के जरिए डॉक्टरी परामर्श की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। 19 अप्रैल (शुक्रवार) को इस पर सुनवाई हुई और विशेष जज ने फैसला सोमवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। केजरीवाल के वकील ने कहा था कि केजरीवाल 22 वर्षों से मधुमेह से पीड़ित हैं और उन्हें रोज इंसुलिन की जरूरत होती है। वहीं ईडी का कहना था कि केजरीवाल ने बहुत पहले इंसुलिन लेना छोड़ दिया था।
केजरीवाल ने जेल अधीक्षक को लिखी चिट्ठी
इससे पहले, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। सीएम केजरीवाल ने इस संबंध में तिहाड़ जेल अधीक्षक को एक चिट्ठी लिखी है। उन्होंने कहा, “मैंने अखबार में तिहाड़ जेल प्रशासन का बयान पढ़ा। मुझे बयान पढ़कर दुख हुआ। तिहाड़ के दोनों बयान झूठे हैं। मैं रोज इंसुलिन मांग रहा हूं। मैंने ग्लूको मीटर की रीडिंग दिखाई और बताया कि दिन में तीन बार शुगर बहुत हाई जा रही है। शुगर 250 से 320 के बीच जाती है।”