नोएडा पुलिस ने दिल्ली एनसीआर में सक्रिय फर्जी मार्कशीट गिरोह का खुलासा किया है. इस गिरोह के जालसाज बेरोजगार व विभिन्न परीक्षाओं में फेल होने वाले छात्रों के लिए मनमाफिक प्रमाण पत्र बनाते थे. इसके एवज में ये जालसाज उनसे 25 से 35 हजार रुपये वसूल करते थे. मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने तीन जालसाजों को गिरफ्तार किया है. पुलिस की पूछताछ में पकड़े गए जालसाजों ने बताया कि वह देश की अलग अलग यूनिवर्सिटयों के प्रमाण पत्र सहज ही छापकर उपलब्ध करा देते हैं. उनके द्वारा बनाए गए प्रमाण पत्रों के आधार पर दर्जनों बेरोजगारों को नौकरी भी मिली है.
नोएडा सेक्टर 63 थाना पुलिस के मुताबिक इस गिरोह के बारे में कई दिनों से सूचना आ रही थी. इस सूचना के आधार पर पुलिस ने जालसाजों को ट्रैक करना शुरू कर दिया. इसी दौरान पुख्ता इनपुट मिलने पर पुलिस ने इन जालसाजों के ठिकाने पर दबिश दी. जहां से पुलिस ने अलग-अलग शैक्षिक संस्थाओं के नाम से बनी कई दर्जन मार्कशीट सनद और शैक्षिक प्रमाण पत्र बरामद हुए. इसके अलावा इस ठिकाने से 23 फर्जी माइग्रेशन सर्टिफिकेट, 8 फर्जी एडमिट कार्ड, 13 फर्जी प्रमाणपत्र साथ में फर्जी चरित्र प्रमाण पत्र, 8 मोहर, 1 इंकपैड और एक लैपटॉप के अलावा दो प्रिंटर और 61 प्लेन शीट, एक पीएनबी बैंक की पासबुक और दो कारें भी बरामद की है.
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डीसीपी नोएडा सेंट्रल के मुताबिक पुलिस टीम ने मौके से तीन जालसाजों को भी गिरफ्तार किया है. उन्होंने बताया कि पकड़े गए जालसाजों में से एक गोविन्द अग्रवाल को इससे पहले यूपी एसटीएफ लखनऊ की टीम ने फर्जी मार्कशीट के मामले में ही चिनहट लखनऊ से गिरफ्तार किया था. उस मामले में वह जेल गया था, लेकिन बाद में जमानत पर बाहर आ गया और अब नोएडा में फिर से फर्जी मार्कशीट का काम शुरू कर दिया था. आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि वह कम समय में अधिक से अधिक पैसा कमाने के लालच में इस तरह की वारदातों को अंजाम देते आ रहे हैं. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह भिन्न-भिन्न राज्यों के भिन्न-भिन्न महत्वपूर्ण संस्थानों की फर्जी मार्कशीट तैयार करते हैं.
आरोपी मांग के मुताबिक इन प्रमाणपत्रों में शिक्षण संस्थानों के नाम और अंक आदि भरते थे. वहीं अपने ग्राहकों से संस्थान की महत्ता के हिसाब से अपनी फीस भी चार्ज करते थे. आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि अब तक वह सैकड़ों जरूरतमंद लोगों को फर्जी प्रमाण पत्र दे चुके हैं. इनमें से कई लोग तो इन्हीं प्रमाण पत्रों के दम पर नौकरी भी कर रहे हैं. पुलिस के मुताबिक आरोपियों के बयान के आधार पर इनसे प्रमाण पत्र हासिल करने वाले सभी लोगों की पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है. जरूरी पूछताछ के बाद पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से इन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है.