नोएडा. यूपी के ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित सुपरटेक इकोविलेज-2 में घर लेने का सपना करीब 2600 फ्लैट बायर्स के कई सालों बाद भी ‘सपना’ रहते दिखाई दे रहा है. बीते साल सुपरटेक इकोविलेज-2 इनसॉल्वेंसी में चला गया था. उसके बाद एनसीएलटी कोर्ट ने फ्लैट बायर्स को घर दिलवाने के लिए आईआरपी (Corporate Insolvency Resolution Process) नियुक्त किया था, लेकिन फ्लैट बायर्स का आरोप है कि एक साल बाद भी आईआरपी ने हमारे हित में काम नहीं किया. इमारत में एक ईंट भी नहीं लगी है.
सुपरटेक इकोविलेज-2 निवासी परमिता बनर्जी ने न्यूज़ 18 लोकलको बताया कि मैने बैंक से लोन नहीं लिया था बल्कि सेल्फ फाइनेंस घर लिया था. कोरोना काल में मेरे पति नहीं रहे. उसके बाद से मैं कई बार बिल्डर और आईआरपी ऑफिस के चक्कर लगा चुकी हूं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. आईआरपी को नियुक्त हुए एक साल हो गए. नियम के तहत 270 (एक्सटेंशन के साथ) दिनों में काम शुरू करना होता है. यहां एक साल हो गए और एक ईंट भी नहीं लगी. वहीं, परमिता बताती है कि दिसंबर में एक बार पहले ही आईआरपी ने एक्सटेंशन ले लिया था. उनका आरोप है कि कोई प्रोमेटर काम करने के लिए आ नहीं रहा है. बुधवार ( 22 जनवरी) को फिर से एक्सटेंशन मांग रहे थे, लेकिन सभी फ्लैट बायर्स ने एक साथ मना कर दिया.
उत्तराखंड में शुरू होंगे ‘मिशन दालचीनी’, ‘मिशन तिमरू’
एक्सटेंशन के नाम पर सिर्फ छलावा
अमरदीप सिंह ने साल 2014 में सुपरटेक इकोविलेज-2 में फ्लैट लिया था. वो बताते हैं कि आईआरपी हितेश गोयल ने कहा था कि दो महीने का एक्सटेंशन और दिया जाए, ताकि प्रोमेटर लाए जाएं, लेकिन सच्चाई यह है कि ये बस एक छलावा है. जब ये नियुक्त हुए थे तो इन्होंने आगे की करवाई करने में छह महीने का समय लगा दिया. वहीं, समर्थ ने साल 2017 में 31 लाख का फ्लैट बुक किया था. वो बताते हैं कि अब तक मैं चालीस लाख दे चुका हूं. लास्ट समय जब मीटिंग हुई थी तो उन्होंने कहा था कि इस प्रोजेक्ट में कोई जरूरत नहीं है, तो कोई प्रोमेटर कैसे आए? ऐसे में हम लोगों का सिर्फ इतना कहना है कि जब इतने दिन में हमें सिर्फ तारीख पर तारीख मिली है, तो हम उन्हें समय क्यों दे? वहीं आईआरपी हितेश गोयल बताते हैं कि वोटिंग का राइट फ्लैट बायर्स को है, वो जैसा सही समझें. हालांकि काम क्यों नहीं कराया के सवाल पर उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया.