एनसीआरटी की किट्स की ई टेंडरिंग को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है बताया यह जा रहा है कि नियमों को ताक पर रखकर एनसीआरटी की किट्स की ई टेंडरिंग एनसीईआरटी के डायरेक्टर और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से गुजरात की कुछ निजी कंपनियों को टेंडर दिए गए जिन कंपनियों के पास एनसीआरटी किट्स का टेंडर दिया गया है वह कंपनियां ई टेंडर के लिए एलिजिबल ही नहीं है….जिन कंपनियो को निजी फायदे के लिए टेंडर दिए गए है इन 4 कंपनियो को एनसीआरटी के काम का कोई तजुर्बा तक नही है ….ये सभी कंपनियो फर्नीचर का काम करती है ……
आपको बता दें एनसीआरटी किड्स की ई टेंडरिंग 2016 में हुई थी जिसमें पहले से एलिजिबल कंपनियां काम कर रही थी लेकिन 2016 में अचानक गुजरात की कुछ कंपनियों को निजी फायदा पहुंचाने के चक्कर में एनसीआरटी के डायरेक्टर और एनसीईआरटी के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से ई टेंडर गलत तरीके से और नियमों को ताक पर रखकर गुजरात की चार कंपनियों को दे दिया गया सबसे बड़ी बात वह है जिन कंपनियों को एनसीआरटी का टेंडर्ड दिया गया कंपनियां एनसीआरटी के टेंडर्स को लेने के लिए एलिजिबल ही नहीं है बावजूद उसके अधिकारियों की मिलीभगत से ई टेंडर गुजरात की 4 कंपनियों को दे दिया गया जिन कंपनियो को टेंडर दिए गए है उनके नाम ;-TITLE DISPLAY SYSTEM PVT LTD .,NIRMAN MULTIART PVT LTD.,MIT ENTERPRISES.,SUJAKO INTERIORS PVT LTD….ये सभी कंपनियां गुजरात के अहमदाबाद की है …..इस पूरे मामले में एलिजिबल कंपनियों द्वारा एचआरडी मिनिस्ट्री पीएम मो सीबीआई सहित कई जगह शिकायत की गई लेकिन इस पूरे मामले पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई ….हालांकि खाना पूर्ति के लिए इस पूरे मामले पर विजिलेंस की जांच चल जरूर रही है लेकिन कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नही किया गया …….
3 अगस्त 2018 को फिर से टेंडर की डेट आई लेकिन इस बार भी एनसीईआरटी में भ्रष्टाचार चरम पर दिखा गुजरात की उन्हीं चार कंपनियों को पहले से दिए गए टेंडर को एक्सटेंड कर दिया गया जबकि नियम के मुताबिक टेंडर को एक्सटेंड नहीं किया जा सकता निजी फायदे के लिए यह टेंडर एक बार फिर उन कंपनियों के हाथ में दिया गया जिन कंपनियों ने कभी एनसीईआरटी का काम किया ही नहीं था इस पूरे मामले में कई लोगों के द्वारा शिकायतें की गई लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया एनसीईआरटी में चल रहे इस भ्रष्टाचार के लिए एक आरटीआई भी लगाई गई और यह पूछा गया कि आपके पास इस तरह के कितनी शिकायतें आई हैं तो पहले कई आरटीआई का जवाब ही नहीं आया और जिस आरटीआई का जवाब आया उसमें यह लिखा हुआ आया है कि हमें खुद नहीं पता कि हमारे पास कितनी शिकायतें आई है
इस पूरे मामले पर विजिलेंस की जांच चल जरूर रही है लेकिन जांच के नाम पर कुछ नही हुआ …….. बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे एनसीईआरटी में भ्रष्टाचार चरम पर है आखिर कैसे कुछ निजी कंपनियों को फायदे के लिए नियमों को ताक पर रख कर टेंडर्स दिए जा रहे हैं आखिर क्यों ऐसा डी मिनिस्टर एनसीआरटी में चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं आखिर कैसे उन कंपनियों को टेंडर्स दिए जा रहे हैं जो कंपनियां एनसीईआरटी के दिए जा रहे काम को लेकर एलिजिबल ही नहीं है ???????