नई दिल्ली। तेल और गैस उत्पादन से होने वाला हानिकारक (जहरीली) गैसों का उत्सर्जन वास्तव में दर्शाए जा रहे आंकड़ों से बहुत ज्यादा है। पर्यावरण सुधार के लिए कार्य करने वाले गैर लाभकारी संगठन का दावा है कि उत्पादन संयंत्रों के दर्शाए आंकड़ों से तीन गुना ज्यादा गैसों का उत्सर्जन होता है। क्लाइमेट ट्रेस नाम के इस संगठन ने सेटेलाइट से लगातार निगरानी करके यह दावा मिस्त्र में हो रहे पर्यावरण सम्मेलन में किया है।
पर्यावरण को हो रहे नुकसान का सही आकलन करना मुश्किल
संगठन ने अपने दावे के समर्थन में सेटेलाइट से प्राप्त आंकड़े, आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस का विश्लेषण और मशीन लर्निंग की रिपोर्ट साझा की है। संगठन ने 25 सबसे बड़े तेल और गैस उत्पादन संयंत्रों की रिपोर्ट जुटाकर यह दावा किया है। क्लाइमेट ट्रेस ने कहा है कि तेल और गैस के उत्पादन से हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को जान-बूझकर कम दर्शाया जा रहा है। यह चलन पूरी दुनिया में समान रूप से लागू है। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र में जो रिपोर्ट दी जाती है, उसमें गड़बड़ी करते हुए उत्सर्जन को कम दिखाया जाता है। इससे पर्यावरण को हो रहे नुकसान का सही आकलन भी मुश्किल हो जाता है।
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अमेरिका कर रहा है ज्यादा उत्सर्जन
वर्ष 2021-2022 के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पाया गया कि वास्तविक उत्सर्जन और संयुक्त राष्ट्र को दी गई जानकारी के आंकड़ों में दो गुने से ज्यादा का अंतर था। यह स्थिति कोरोना काल की थी जब उत्पादन और आपूर्ति काफी कम हो गई थी। जिन ठिकानों से सबसे ज्यादा हानिकारक गैसों का उत्सर्जन हो रहा है, उनमें से 14 अमेरिका के हैं। विदित हो कि अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति अल गोर इस संगठन के संस्थापक सदस्य हैं।