चुनाव करीब आते ही पाकिस्तान में नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौरा शुरू हो गया है. मुल्तान में एक राजनीतिक रैली के दौरान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो-जरदारी ने नवाज शरीफ को जमकर घेरा. इस दौरान उन्होंने खुली बहस करने की चुनौती भी दी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक बिलावल भुट्टो-जरदारी ने पीएमएल-एन पार्टी के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा- इन लोगों को लगता है कि उन्होंने मैच फिक्स कर लिया है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे. इस दौरान उन्होंने कहा इस बार 8 फरवरी को होने वाले चुनाव में “तीर शेर का शिकार करेगा.” दरअसल, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का चुनाव चिन्ह तीर और पीएमएल-एन पार्टी चुनाव चिन्ह शेर है. जनता को संबोधित करते हुए जरदारी ने कहा देश को बचाने के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को वोट करना होगा.
बिलावल ने खुली बहस की दी चुनौती
भुट्टो-जरदारी ने कहा कि पीएमएल-एन के नेता अपने घर से नहीं निकल रहे हैं. बगैर मतदाताओं तक पहुंचे ये चुनाव जीतना चाहते हैं, इनको लगता है कि इन्होंने मैच फिक्स कर लिया है, लेकिन ये सच नहीं है. देश के सामने मौजूद समस्याओं पर खुली बहस करने के लिए एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से बिलावल ने शरीफ को चुनौती दी है. बिलावल ने कहा पीएमएल-एन उम्मीदवार नवाज शरीफ को चुनाव से पहले खुली बहस में आगे आना चाहिए और अपनी योजनाओं पर चर्चा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार टेलीविजन पर बहस में भाग लेते हैं, जिससे मतदाताओं को उनकी योजनाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है.
मुल्तान में रैली के दौरान बिलावल ने विरोधी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा ये लोग व्यक्तिगत लाभ के लिए विभाजन और नफरत को बढ़ावा देने का काम करते हैं. इनका ध्यान सिर्फ कुर्सी पाने तक सीमीति है, ये लोग देश की समस्याओं पर उदासीन रवैया अपनाते हैं. बिलावल ने शरीफ पर निशाना साधते हुए कहा- “जो राजनेता तीन बार प्रधानमंत्री पद पर रह चुके हैं, वे चौथी बार कुर्सी के लिए प्रयास कर रहे हैं.”
बिलावल ने घोषणा पत्र की नकल करने का लगाया आरोप
रिपोर्ट के मुताबिक पीएमएल-एन पार्टी द्वारा चुनावी घोषणा पत्र जारी नहीं करने पर बिलावल ने कहा- पीएमएल-एन के नेता पीपीपी के घोषणापत्र की नकल करने में जुटे हैं. इनके पास खुद का कोई चुनावी मुद्दा नहीं है. अपनी चुनावी रणनीति को रेखांकित करते हुए बिलावल ने कहा देश में मुद्रास्फीति और बेरोजगारी चरम पर है. देश में पीपीपी को छोड़कर किसी अन्य पार्टी के पास इन मुद्दों से निपटने के लिए व्यापक योजना नहीं है.