ग्रेटर नोएडा। जेवर में लड़ाकू विमान राफेल व मिराज 2000 के रखरखाव एवं मरम्मत की सुविधा के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर एवं ओवरहालिंग (एमआरओ) विकसित होगा। फ्रांस की कंपनी डसाल्ट एविएशन ने एमआरओ के लिए जमीन मांगी है।
कैसे मिला यमुना अथॉरिटी को मिला प्रस्ताव?
कंपनी एमआरओ में पेशेवरों की जरूरत को पूरा करने के लिए स्किल यूनिवर्सिटी स्थापित करेगी। कंपनी की ओर से केंद्र सरकार को दिया गया प्रस्ताव प्रदेश सरकार के माध्यम से यमुना प्राधिकरण को मिला है। प्राधिकरण ने कंपनी से संपर्क पर जमीन की आवश्यकता के बारे में पूछा है।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नजदीक 1365 हे. जमीन एमआरओ के लिए अधिगृहीत की गई है। डसाल्ड एविएशन का प्रस्ताव मिलने के बाद एमआरओ के विकास का काम तेजी से शुरू होने की उम्मीद है।
कौशल विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग ले सकेंगे छात्र
एमआरओ में यात्री विमानों के साथ वायु सेना के विमानों के मरम्मत एवं रखरखाव के लिए एमआरओ विकसित होगा। प्रदेश सरकार की ओर से प्रस्ताव मिलने के बाद यमुना प्राधिकरण ने सहमति देते जमीन की जरूरत के बारे में कंपनी से जानकारी मांगी है।
यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह का कहना है कि कंपनी ने कौशल विकास मंत्रालय में कौशल विश्वविद्यालय के लिए प्रस्ताव दिया था, रक्षा मंत्रालय से प्रदेश सरकार होते हुए यह प्रस्ताव यीडा को मिला है।
तमिलनाडु में निवेश के लिए कंपनी प्रयास कर रही थी, लेकिन प्रस्ताव मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए तैयार है। एमआरओ के लिए भी बातचीत चल रही है। कंपनी सिविल व सैन्य विमानों के लिए एमआरओ विकसित करने की इच्छुक है।
2030 तक 700 करोड़ हो जाएगा एमआरओ का बाजार
एमआरओ का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। भारत में 2021 में 170 करोड़ था, 2030 तक इसके 700 करोड़ हो जाएगा। रोजगार के लिहाज से यह सेक्टर काफी बढ़ा है। एमआरओ विकसित होने से लाखों लोगों के लिए रोजगार सृजन होगा।
प्रदेश सरकार ने एफडीआइ नीति के तहत प्रदेश में निवेश पर कई आकर्षक छूट का प्रविधान कर रखा है। इसमें भूमि पर सब्सिडी से लेकर जीएसटी में दस साल तक छूट, 12 करोड़ रुपये सब्सिडी शामिल है।
कौशल विश्वविद्यालय से एमआरओ में पेशेवरों की मांग होगी पूरी
डसाल्ड एविएशन एमआरओ में कुशल पेशेवरों की मांग को पूरा करने के लिए कौशल विश्वविद्यालय भी स्थापित करेगी। इसके लिए कंपनी की ओर से कौशल विकास मंत्रालय को प्रस्ताव दिया जा चुका है। रक्षा मंत्रालय से विचार विमर्श के बाद कंपनी के प्रस्ताव को प्रदेश सरकार को भेजा गया था। जहां से यह प्रस्ताव यीडा को दिया गया है।
इसे सेंटर आफ एक्सीलेंस के तौर पर विकसित किया जाएगा। दसवीं व बारहवीं के अलावा तीन वर्षीय पॉलिटेक्निक डिप्लोमा व एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस में स्नातक पाठ्यक्रम होंगे। इसमें वैमानिकी से संबंधित पाठ्यक्रम की पढ़ाई होगी। इसके अलावा एयरक्राफ्ट मेंटेनेस में छह माह के अल्प अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम भी होंगे।
नोएडा एयरपोर्ट परिसर में भी होगा एमआरओ
नोएडा एयरपोर्ट परिसर में भी 40 एकड़ में एमआरओ प्रस्तावित है। इसे एयरपोर्ट शुरू होने के दस साल में विकसित करना होगा। इस एमआरओ में विमानों के रखरखाव, मरम्मत आदि की सीमित सुविधा होगी। एमआरओ को व्यावसायिक तौर पर विकसित करने के लिए एयरपोर्ट के सटकर 1365 हे. जमीन अधिगृहीत की गई है। इसमें एक रनवे भी बनाया जाएगा।
देश में सीमित है एमआरओ की सुविधा
देश में यात्री विमानों को बेड़ा लगातार बढ़ा हो रहा है। 2031 तक भारत में यात्री विमानों की संख्या बढ़कर 1522 हो जाएगी। विमानों के रखरखाव व मरम्मत के लिए देश में अभी सीमित सुविधा है।
विमानों को चीन, सिंगापुर, अमेरिका जैसे देशों में ले जाना पड़ता है। एमआरओ विकसित होने से विदेश पर निर्भरता समाप्त होने के साथ रोजगार और दूसरे देश से मरम्मत के लिए आने वाले विमानों से आमदनी का स्रोत बनेगा।