चूहों से हर कोई परेशान रहता है. कभी-कभी तो चूहों की वजह से भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है. भारतीय रेलवे भी स्टेशन और प्लेटफार्म पर घूमने वाले चूहों से परेशान है. ऐसे में उत्तर रेलवे ने इन चूहों से मुक्ति पाने के लिए हर संभव कोशिश कि है, लेकिन इसके लिए उसे हजार, दो हजार नहीं बल्कि लाखों रुपए खर्च करने पड़े हैं इसके बाद भी स्थिति जस की तस ही बनी हुई है.
मामला उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल का है. जहां, स्टेशन पर घूमने वाले चूहे को पकड़ने के लिए कुल 69 लाख रुपए खर्च कर दिए. हैरानी की बात तो यह है कि 69 लाख रुपए खर्च किए जाने के बाद महज 168 चूहे ही पकड़ा पाए हैं. मतलब एक चूहे को पकड़ने में करीब 41 हजार रुपए बर्बाद कर दिए. चूहों को पकड़ने के लिए लाखों खर्च किए जाने का खुलासा आरटीई की एक रिपोर्ट में हुई है.
17 September 2023 Panchang: जानें विश्वकर्मा पूजा का क्या रहेगा मुहूर्त और कब से कब तक रहेगा राहुकाल
आरटीई की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, लखनऊ मंडल ने पिछले तीन सालों में इतनी बड़ी रकम खर्च करी फिर चूहों से निजात नहीं मिली. लखनऊ मंडल ने चूहों को पकड़ने पर 23.2 लाख रुपए खर्च किए. जिसे लेकर अब रेलवे विभाग में हड़कंप मच गया है.
आरटीआई कार्यकर्ता ने मांगी थी जानकारी
दरअसल नीमच के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने चूहा पकड़ने के लिए रेलवे द्वारा खर्च की गई राशि की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी थी. जिसमें यह बड़ी जानकारी निकल कर सामने आई है. उत्तर रेलवे में 5 मंडल दिल्ली, अंबाला, लखनऊ, फिरोजपुर और मुरादाबाद है.
इन सभी मंडलों ने चूहा पकड़ने पर हुए खर्च की जानकारी दी. इसी क्रम में रेलवे के लखनऊ मंडल ने भी यह जानकारी दी. हालांकि, लखनऊ मंडल रेलवे के पास यह जानकारी स्पष्ट रूप से उपलब्ध नहीं है कि चूहों की वजह से कितना नुकसान हुआ, लेकिन 69 लाख रुपए खर्च कर महज 168 चूहों को पकड़ने वाली रेलवे की बात पर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं जो की अब सुर्खियों में है.
2020 में हुई थी चूहों को पकड़ने की शुरुआत
जानकारी के मुताबिक, चूहों को पकड़ने की शुरुआत 2020 में हुई थी. इसका ठेका सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को दिया गया. कॉर्पोरेशन की ओर से कड़ी मेहनत किए जाने के बाद पहले साल करीब 83 चूहे पकड़े गए. इसके बाद चूहों को पकड़ने की औसत गति धीमी हो गई. 2021 में मात्र 45 चूहे पकड़े जबकि 2022 में 40 चूहे पकड़े गए. जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया चूहों को पकड़ने पर आने वाला खर्च भी बढ़ता चला गया था.