नई दिल्ली। 16 वर्षीय नाबालिग से कई महीने तक दुष्कर्म करने के मामले में आरोपित दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विभाग से निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा और उनकी पत्नी सीमा रानी खाखा को वैधानिक जमानत देने से दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को इनकार कर दिया।
जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि आरोपितों को जमानत देने का कोई आधार नहीं है। आरोपितों ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167(2) के तहत वैधानिक जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
आरोपितों ने उक्त धारा हवाला देकर तर्क दिया था कि दिल्ली पुलिस तय समय के भीतर मामले में अपनी जांच पूरी करने में विफल रही है। ऐसे में वे वैधानिक जमानत के हकदार हैं। आरोपितों के तर्क को ठुकराते हुए अदालत ने पाया किया मामले में आरोपपत्र सामय पर दायर किया गया था और इसका संज्ञान भी लिया गया था।
अदालत ने कहा कि जब खाखा को अस्पताल ले जाया गया तो वह जांच अधिकारियों को चिकित्सा साक्ष्य उपलब्ध कराने में विफल रहे और मामले में दो सह-अभियुक्त अभी भी फरार हैं। अदालत ने उक्त तथ्यों को देखते हुए जमानत देने से इनकार करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
खाखा दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग में सहायक निदेशक के पद पर तैनात थे। उन्हें 21 अगस्त 2023 को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था और इसके बाद उन्हें नौकरी से निलंबित कर दिया गया था। उनकी पत्नी सीमा रानी पर पीड़िता के साथ दुष्कर्म करने में प्रेमोदय खाखा की सहायता करने और उकसाने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
जानकारी के अनुसार, नाबालिग के साथ नवंबर 2020 और जनवरी 2021 के बीच तब दुष्कर्म हुआ था जब लड़की अपने पिता की मृत्यु के बाद प्रेमोदय खाखा और उनकी पत्नी के साथ रह रही थी। इस पूरी घटना का पता तब चला जब पीड़िता ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल में पैनिक अटैक का इलाज करने के दौरान एक चिकित्सक को आपबीती सुनाई थी। मामले में प्राथमिकी होने के बाद अदालत ने प्रकरण का संज्ञान लेकर मामला शुरू किया था।