नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली के अलीपुर में जिस भूमि घोटाले को लेकर उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना ने एसडीएम रहे तीन वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित किया है, वह घोटाला जमीन की वर्तमान कीमतों को देखते हुए कम से कम 500 करोड़ का बताया जा रहा है। मामले में उस समय राजस्व विभाग में तैनात रहे सरकार के कई और वरिष्ठ अधिकारी भी नप सकते हैं।
जानकारों का मानना कि बगैर वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी में कोई एसडीएम इतना बड़ा घोटाला नहीं कर सकता है। क्योंकि बड़े मामलों में कोई भी एसडीएम आदेश जारी करते समय डीएम और मंडल आयुक्त को भी आदेश की कापी भेजता है, ऐसा कैसे हो सकता है कि वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान इस ओर न गया कि भारत सरकार की जमीन को गांव वालों के नाम किया जा रहा है।
झंगोला गांव में हुए भूमि घोटाले में अब तक चार एसडीएम निलंबित हो चुके हैं और एक एडीएम को निलंबित करने के लिए उपराज्यपाल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से सिफारिश की है। कुलमिलाकर यह घोटाला केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तक पहुंच चुका है।
इस घोटाले से पर्दा उस समय उठा, जब गत मार्च में प्रशासन को पता चला कि 2020-21 में उस सरकारी जमीन को कुछ लोगों के नाम कर दिया गया है, जो जमीन नियम के अनुसार भारत सरकार की है और उसने राज्य सरकार को देखभाल के लिए दे रखी है।
यह जमीन उन लोगों की है, जो आजादी के समय देश छोड़कर चले गए थे। इसे मुस्लिम निष्क्रांत संपत्ति कहा जाता है। दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम 1954 के अनुसार, जिस व्यक्ति के पास जमीन नहीं है और वह किसी खेती की जमीन को कई साल से जोत रहा है तो उसे उस जमीन को दिया जा सकता है। मगर इसी दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम के सेक्शन 192 में यह भी स्पष्ट है कि मुस्लिम निष्क्रांत संपत्ति को इस अधिनियम के तहत नहीं दिया जा सकता है।
जांच में पाया गया है कि यह घोटाला 2015 से चल रहा था और अलीपुर के एसडीएम रहे अजीत सिंह ठाकुर ने अपने कार्यकाल में 21 आदेश जारी कर झंगोला में सरकार की करीब 300 बीघा जमीन कुछ लोगों के नाम कर दी है।
सूत्रों का कहना है कि उस समय एसडीएम ठाकुर को बचाने के लिए उस समय के राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों ने कोशिश की। मामला प्रकाश में आने पर राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश पर एसडीएम ठाकुर द्वारा जारी सभी 21 आदेश निरस्त कर दिए गए।
एसडीएम को काफी दिनों बाद निलंबित किया गया। एसडीएम के 21 आदेश भी गलत तरीके से किए निरस्तसूत्रों का कहना है कि एसडीएम ठाकुर के 21 आदेश भी गलत तरीके से निरस्त किए गए हैं।
नियम के अनुसार हर आदेश को निरस्त करने के लिए एक आदेश जारी होना था, मगर एक ही आदेश में सभी 21 आदेश निरस्त कर दिए गए। आदेश निरस्त होने के बाद भी 339 बीघा जमीन उन्हीं लोगों के कब्जे हैं, जिन्हें गलत तरीके से जमीन दे दी गई है। जिला प्रशासन ने जमीन वापस लेने की भी हिम्मत तक नहीं दिखाई है।