Home Breaking News ‘ज्ञानवापी का तहखाना खोला जाए, सील इलाके का हो वैज्ञानिक सर्वे’, सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की याचिका
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‘ज्ञानवापी का तहखाना खोला जाए, सील इलाके का हो वैज्ञानिक सर्वे’, सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की याचिका

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नई दिल्ली। ज्ञानवापी मामले में अब एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। हिंदू पक्ष ने सील की जगह का सर्वे कराने की मांग की है।दाखिल की गई याचिका के अनुसार बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए वजूखाने का एएसआई सर्वे कराने का निर्देश देने की मांग की है ।

मई 2022 में वजूखाना में शिवलिंग जैसी रचना मिलने के बाद से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस जगह को सील कर दिया गया था। हिंदू पक्ष उसे काशी विश्वनाथ का मूल शिवलिंग मानता है। अब हिंदू पक्ष ने इस सील किए गए क्षेत्र का सर्वे कराने की मांग की है।

कई हिस्सों का सर्वे जरूरी

ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे जरूर हुआ, लेकिन कई हिस्से ऐसे हैं जिनकी जांच नहीं हो सकी है। इनमें वहां मौजूद इमारत के शिखर के नीचे तहखाने का हिस्सा भी शामिल है। इनकी जांच की जाए तो कई ऐसे महत्वपूर्ण साक्ष्य सामने आएंगे जो यह सिद्ध करने में सहायक होंगे कि ज्ञानवापी मंदिर है। यह कहना है मां श्रृंगार गौरी मुकदमे में मंदिर पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन का।

आदि विश्वेश्वर मंदिर अष्टकोणीय

विष्णु शंकर जैन का कहना है कि धर्मग्रंथों के अनुसार ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर मंदिर अष्टकोणीय है। इसके मध्य में गर्भगृह था। मंदिर ध्वस्त करने के बाद इसके ऊपर ही वर्तमान इमारत बनाई गई है। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही व एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार इमारत के नीचे बड़े हिस्से को दीवार, ईंट-पत्थर से बंद कर दिया गया है।

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रिपोर्ट में हुआ ये दावा

एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआइ) के विशेषज्ञों द्वारा मौजूदा इमारत के तीन गुंबदों के नीचे जीपीआर सर्वेक्षण किया गया था। हाल के सर्वेक्षण में दक्षिण गलियारा, दक्षिणी हाल, केंद्रीय हाल, पूर्वी गलियारा, उत्तरी हाल और उत्तरी गलियारा शामिल किया गया।

थ्रीडी प्रोफाइल से सामने आए तथ्य

एकत्रित आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि उत्तरी हाल और उत्तरी गलियारे की जमीन पर एक मीटर मोटी परत के साथ तीन और परतें स्पष्ट रूप से देखी जाती हैं। यह परत मध्य और दक्षिण हाल में 0.5 मीटर तक मोटी है। थ्रीडी प्रोफाइल से पता चलता है कि परत के नीचे मलबा पड़ा है। मलबे का ऊंचा ढेर गुंबद के आकार का है। मलबे की एक ज्यामिति है, जो यह टूटी-फूटी नींव और मीनार जैसी है।

पानी की टंकी में भी मिलेगा अरघा

एएसआई के मानचित्र में परिसर के आधे हिस्से में पूरब-उत्तर दिशा में पांच व पूरब-दक्षिण दिशा में तीन तहखाने दर्शाए गए हैं। पश्चिम दिशा की ओर आधे हिस्से की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। इस हिस्से में ही मलबा होने की बात कही जा रही है, जिसके ऊपर इमारत के कमरे हैं। पश्चिम-दक्षिण व पश्चिम-पूरब हिस्से में नीचे की ओर दो सीढ़ियां जाती दिखाई देती हैं, लेकिन उन्हें भी आगे बंद कर दिया गया है। इस तरह वर्तमान इमारत के नीचे आधे हिस्से में पहुंचने का रास्ता बंद है।

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