आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के गॉदफादर कहे जाने वाले ज्यॉफ्रे हिंटन ने दिग्ज टेक कंपनी गूगल से इस्तीफा दे दिया है। हिंटन एआई के डेवलप करने वाले शुरुआती लोगों में से हैं। 2012 में, टोरंटो विश्वविद्यालय में हिंटन और उनके दो ग्रेजुएट स्टूडेंट्स ने ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई जो एआई सिस्टम के लिए इंटेलेक्चुअल फाउंडेशन बन गई।
इसके लिए टेक इंडस्ट्री की सबसे बड़ी कंपनियों का मानना है कि ये उनके फ्यूचर की चाबी है।
आलोचकों में हो गए शामिल
हिंटन अब आधिकारिक तौर पर उन आलोचकों में शामिल हो गए, जिनका मानना है कि टेक कंपनियां जेनेरिक एआई पर बेस्ड प्रोडक्ट बनाने के अपने आक्रामक अभियान के साथ खतरे की तरफ भाग रही हैं। जेनेरिक एआई एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो चैटजीपीटी जैसे चैटबॉट्स को पावर देती है।
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अपने काम पर है पछतावा
ईटी की रिपोर्ट में हिंटन के एक इंटरव्यू के हवाले से कहा गया है कि एक दशक से अधिक समय तक नौकरी करने के बाद उन्होंने गूगल का साथ छोड़ दिया है। वह अब एआई के जोखिमों के बारे में स्वतंत्र रूप से बोल सकते हैं।
ऐसे में हिंटन एआई के खतरों को लेकर और भी कई बड़े खुलासे कर सकते हैं। हिंटन ने एआई बनाने पर पछतावा भी जताया। हालांकि वे खुद को तसल्ली देते हैं कि अगर मैं ऐसा न करता तो कोई और करता।
इंसानियत के लिए खतरा
इंडस्ट्री लीडर्स के मुताबिक नया एआई सिस्टम 1990 के दशक की शुरुआत में वेब ब्राउजर की शुरुआत जितना अहम हो सकता है। वहीं लेकिन कई इंडस्ट्री के लोगों को डर सता रहा है कि ये खतरनाक चीज भी है। जल्द ही इससे नौकरियों पर संकट आ सकता है। बल्कि इस टेक्नोलॉजी को मानवता के लिए भी जोखिम माना जा रहा है।
हिंटन के मुताबिक यह देखना मुश्किल है कि आप बुरे लोगों को बुरी चीजों के लिए इसका (एआई) इस्तेमाल करने से कैसे रोक सकते हैं।
1000 से अधिक टेक लीडर्स ने जताई चिंता
सैन फ्रांसिस्को के स्टार्टअप ओपनएआई द्वारा मार्च में चैटजीपीटी का एक नया वर्जन जारी करने के बाद, 1,000 से अधिक टेक लीडर्स और रिसर्चर्स ने नए सिस्टम के डेवलपमेंट पर छह महीने की मोराटोरियम लगाने की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने एक ओपन लेटर पर साइन किए थे। उन्होंने दलील दी थी कि एआई टेक “समाज और मानवता के लिए गहरा जोखिम” पैदा करती है।