ग्रेटर नोएडा । जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण होने के बावजूद किसानों को मुआवजा समय से नहीं दिया जा रहा है। किसान सलारपुर अंडरपास के नीचे पिछले 28 दिनों से लगातार घरना प्रदर्शन कर रहे है. किसानों की समस्याओं को लेकर आज भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले साबौता-जेवर कट पर किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया गया है। भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत सोमवार को ग्रेटर नोएडा पहुंचे। उन्होंने ने कहा महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि जिले के किसान अपने आपको अकेला ना समझें। भारतीय किसान यूनियन और पूरे देश के किसान नेता ग्रेटर नोएडा के ग्रामीणों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं।
यमुना एक्सप्रेस वे पर दौड रही हूटर बजाती हुई ये मंहगी कारे… यह किसी फिल्म का दृश्य नहीं…. यह किसानों के रहनुमा नरेश टिकैत की किसानों की टोली है, जो जेवर में सबोता चल रही किसानों की महापंचायत में भाग लेने आए हैं। किसानों की जमीन अधिग्रहण होने के बावजूद भी उनका मुआवजा समय से नहीं दिया जा रहा है। यह बात भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने आज जेवर में किसानों द्वारा आयोजित की गई एक महापंचायत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन का अधिग्रहण हुए काफी समय हो गया है। जनपद गौतम बुद्ध नगर के नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण के अधिकारी किसानों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
नरेश टिकैत भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष
किसानों को संबोधित करते हुए नरेश टिकैत ने कहा, अब प्राधिकरण और प्रशासन के द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा है। किसानों की जमीन पर दफ्तर बनाकर बैठे है और अब हम किसानों को ही नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुआवजा, आबादी की मांग, विकसित प्लाट सहित विभिन्न समस्याएं ऐसी है जिसका प्राधिकरण के अधिकारी समाधान नहीं कर रहे हैं। अगर प्राधिकरण के अधिकारी समय से अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा दे दे तो किसान उस पैसे का सदुपयोग करके अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ हो रहे अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आज सोमवार का पंचांग अनुसार जानें शुभ-मुहूर्त और राहुकाल का समय
सलारपुर अंडरपास के नीचे पिछले 28 दिनों से जिले के किसान अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। किसानों की मांग 10% विकसित प्लॉट और 64.7% मुआवजे की है। इसके अलावा आबादी लीजबैक का ट्रांसफर, न्यूनतम 120 मीटर प्लॉट का प्रावधान और बड़े प्लॉटों को विभाजन कर किसानों की उपयोगिता के आधार पर लगाना है।