Home Breaking News तीन सगी बहनें लापता, अपहरण का केस दर्ज
Breaking Newsअपराधउत्तरप्रदेशराज्‍य

तीन सगी बहनें लापता, अपहरण का केस दर्ज

Share
Share

कुशीनगर। कुशीनगर के कोतवाली के गांव पिड़रा निवासी तीन सगी बहनें खेत देखने निकलीं तो घर वापस नहीं लौटीं। तीनों नाबालिग बहनों की लोकेशन गोरखपुर के कैंट में मिलने की बात पुलिस कह रही है। यहां सीसी कैमरे में कैद तस्वीर में मोबाइल से बात करती दिख रही हैं। घर पर मिली डायरी में गायिका बनने व मुंबई जाने की बात का जिक्र एक बहन ने किया है। पुलिस गुमशुदगी दर्ज कर कैमरे से मिली तस्वीर व लोकेशन के आधार पर इनकी तलाश में लगी है।

यह है मामला

पिड़रा निवासी महेंद्र चौहान ने पुलिस को दिए गए प्रार्थना पत्र में कहा है कि तीनों पुत्रियां क्रमश: 16 वर्ष, 14 वर्ष व 12 वर्ष एक साथ खेत देखने के लिए निकलीं थीं। शाम तक घर नहीं आईं तो रिश्तेदारों के वहां खोजबीन की गई। उनका पता नहीं चल सका। प्रभारी निरीक्षक रणजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि इनकी लोकेशन गोरखपुर के कैंट में मिली है, जहां के सीसी कैमरे में मोबाइल से बात करते हुए दिखी हैं। इसके बाद उनका पता नहीं चल रहा है।

मुंबई जाने की बात लिखकर हुईं गायब

स्वजन ने बताया है कि बीच वाली पुत्री को गायकी का शौक है। उसने डायरी में मुंबई जाने व गायिका बनने की बात भी लिखी है। उनके मोबाइल नंबर पर भी संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। शीघ्र इनको बरामद कर लिया जाएगा।

एक साथ निकलीं तीन दोस्तों की अर्थियां तो रो पड़ा जवार

उधर, कुशीनगर के विशंभरपुर के रहने वाले मार्ग दुर्घटना में मरे तीन मित्रों की अर्थियां जब एक साथ निकलीं तो मानो पूरा जवार रो पड़ा हो। गांव में छाए मातम को सिसकियों का शोर तोड़ रहा था। गांव से कुछ दूर स्थित छोटी गंडक के रेगवनिया घाट पर जब चीता अगल-बगल सजी तो मौजूद लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े। जब चिताएं साथ जलीं तो स्वजन फफक कर रो पड़े। उनके गम के बोझ को देख कोई उनके आंसू पोछने तक का साहस तक नहीं जुटा पा रहा था।

See also  सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के एपेक्स-सियान टावरों का ड्रोन सर्वे का कार्य हुआ पूरा, पढ़िए पूरी खबर

जिगरी मित्र थे तीनों

कसया के विशंभरपुर निवासी बलवंत, भरत और मधुबन तीनों जिगरी मित्र थे। दुर्घटना के दिन तीनों एक ही बाइक पर सवार होकर हेतिमपुर से घर लौट रहे थे। फोरलेन स्थित पकड़िहवां नहर के समीप बाइक अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकरा गई थी। तीनों के सिर में गंभीर चोट लगी। भरत और बलवंत की मौके पर ही मृत्यु हो गई, मधुबन की मृत्यु उपचार के लिए गोरखपुर ले जाते समय रास्ते में हो गई। पोस्टमार्टम नहीं होने के चलते उनके शव स्वजन को नहीं मिल सके।

पोस्टमार्टम के बाद जब तीनों का शव गांव आया तो पहले से छाए मातमी चादर के गम का बोझ और बढ़ गया। स्वजन दहाड़ मारकर रोने लगे तो पिता का साया खोने वाले मासूम बच्चों की आंखों से निकल रहे आंसू लोगों को रोने पर विवश कर रहे थे। अपना सुहाग खो चुकी तीन महिलाओं का एक साथ करुण क्रंदन बता रहा था कि गम का पहाड़ कितना बड़ा है। जवार के हर किसी की आंखेें नम थीं तो सबकी जुबां पर यह बात भी थी कि नियति को ऐसा क्रूर खेल नहीं खेलना चाहिए था।

Share
Related Articles
Breaking Newsदिल्लीराज्‍य

नेपाल फेस्टिवल इंडिया 2025: भारत-नेपाल व्यापार, पर्यटन एवं संस्कृति का भव्य उत्सव सफलतापूर्वक संपन्न

आयोजक: एवेरेस्ट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज सह-आयोजक: नेपाल राजदूतावास, नई दिल्ली...