हापुड़ के समाज कल्याण अधिकारी और हापुड़ में राजकीय आईएएस पीसीएस कोचिंग सेंटर के डायरेक्टर रिंकू सिंह राही ने UPSC Civil Service में 683वीं रैंक हासिल की. 2008 में मुजफ्फरनगर में समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए रिंकू सिंह राही ने 83 करोड़ का घोटाला उजागार किया था, जिसके चलते उनको सात गोलियां मारी गई थीं.
इस हमले में रिंकू सिंह राही का चेहरा भी विकृत हो गया था. अलीगढ़ के डोरी नगर के रहने वाले रिंकू सिंह राही के पिता आटा चक्की चलाते हैं. रिंकू के पिता शिवदान सिंह बताते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, वह कॉन्वेंट स्कूल में बच्चों को नहीं पढ़ा सकते थे, जिसके चलते रिंकू की पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही हुई.
रिंकू ने प्राथमिक पढ़ाई बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों से की. उन्होंने सरकारी इंटर कॉलेज से अपनी इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की. अच्छे नंबर लाने पर उन्हें स्कॉलरशिप मिली और फिर उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट से बीटेक किया, जिसके बाद 2008 में पीसीएस में उनका चयन हुआ.
83 करोड़ रुपये का उजागर किया था घोटाला
रिंकू राही 2008 में पीसीएस अधिकारी बने. उन्हें पहली तैनाती मुजफ्फरनगर में बतौर समाज कल्याण अधिकारी मिली थी. 2009 में उन्होंने समाज कल्याण विभाग में 83 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर कर दिया था. घोटाला सामने आने के बाद से विभाग के लोग ही उनके दुश्मन बन गए थे. एक दिन उन पर कई राउंड गोलियां चलाई गईं.
रिंकू राही को सात गोलियां लगी थी. किस्मत अच्छी होने के कारण उनकी जान बच गई, लेकिन एक आंख गंवानी पड़ी और पूरा चेहरा विकृत हो गया. इसके बाद वे भदोही ज़िले के जिला समाज कल्याण अधिकारी बने. भदोही के बाद वह पूरे प्रदेश में घूमते रहे. श्रावस्ती फिर ललितपुर और हापुड़ में नियुक्ति मिली.
वर्तमान में हापुड़ में समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा संचालित आईएएस-पीसीएस कोचिंग संस्थान के डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति मिली हुई है. उन्होंने बताया कि उनके छात्र उनसे हर दिन यूपीएससी की परीक्षा देने के लिए कहते थे. छात्रों की प्रेरणा से ही रिंकू राही ने 2021 में यूपीएससी की परीक्षा दी और देश में 683वीं रैंक मिली.