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बृजभूषण सिंह पर पॉक्सो एक्ट हटेगा या नहीं, पटियाला हाउस कोर्ट में फैसला 6 अक्टूबर को

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नई दिल्ली। कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ नाबालिग लड़की की ओर से लगाए गए यौन शोषण मामले पर पटियाला हाउस कोर्ट ने फैसला टाल दिया। अदालत ने कहा कि अभी मामले में निर्णय तैयार नहीं है।

मामले में अदालत अब छह अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएगी। दिल्ली पुलिस ने मामले में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल की थी।

नाबालिग ने मामला रद्द करने की अपील की

नाबालिग पीड़िता और उसके पिता ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट का विरोध नहीं किया था और अदालत में कहा था कि वह पुलिस की जांच से संतुष्ट हैं। दिल्ली पुलिस ने 15 जून को अदालत में एक रिपोर्ट दायर कर नाबालिग पहलवान द्वारा मामला रद्द करने की अपील की थी।

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पहलवान बजरंग पूनिया के खिलाफ दायर मानहानि मामले में सुनवाई टली

पटियाला हाउस कोर्ट में कुश्ती कोच नरेश दहिया की ओर से ओलिंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया के खिलाफ दायर मानहानि मामले में सुनवाई टल गई। अदालत ने पूनिया को एक दिन की व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी और मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को टाल दी।

पूनिया ने चिकित्सकीय आधार पर अदालत में पेशी से छूट की मांग की थी। उन्होंने अपने आवेदन में कहा था कि वह बुखार से पीड़ित होने के कारण अस्पताल में उपस्थित होने में असमर्थ हैं। मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट यशदीप चहल ने शिकायतकर्ता को पुनिया के अधिवक्ता को शिकायत की प्रति उपलब्ध कराने को कहा।

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शिकायतकर्ता ने अदालत को बताया था कि बृजभूषण शरण सिंह द्वारा कुछ महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन के दौरान 10 मई को जंतर-मंतर पर एक कार्यक्रम में पुनिया ने अन्य पहलवानों के साथ मिलकर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी।

एक सितंबर को राउज एवेन्यू कोर्ट में सनवाई के दौरान क्या हुआ?

यौन उत्पीड़न मामले में महिला पहलवानों ने एक सितंबर को राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) में अपनी दलीलें पेश की थी। पहलवानों की तरफ से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जान ने कहा कि मामले में एक ही प्राथमिकी हुई है, जिसमें सभी शिकायतकर्ताओं ने एक ही प्रकार के आरोप लगाए थे।

महिला पहलवानों का आरोप है कि उनकी अनुमति के बिना भारतीय कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह गलत तरीके से छूकर सांस की जांच करता था। ऐसे में आरोपित सांसद के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं।

”बयान दर्ज करने का तरीका सही नहीं”

एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जान ने यह भी कहा कि जिस तरह से शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज किए गए हैं वह सही नहीं। उन्होंने इसे समय की बर्बादी कहा। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी और आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के फैसले को भारतीय कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण की तरफ से अदालत में चुनौती नहीं दी गई है।

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