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यूपी BJP अध्यक्ष के नाम के एलान में क्यों हो रही है देरी? यहां जानिए वजह

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उत्तर प्रदेश में बीजेपी अपने नए अध्यक्ष को लेकर पिछले पांच महीनों से कशमकश में है. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के ट्वीट किए जाने के बाद उनका नाम नए प्रदेश अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे है. बीजेपी के बड़े नेता भी मान रहे हैं, लेकिन साथ ही यह भी बात कहते हैं कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व किसी भी नाम पर मुहर लगाकर चौंका सकता है. इसी के चलते यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस बरकरार है. ऐसे में सवाल उठता है कि यूपी बीजेपी अध्यक्ष को लेकर क्या पेच फंसा हुआ?

केशव मौर्य का नाम रेस में आगे

सूबे के ओबीसी समीकरण को देखते हुए केशव प्रसाद मौर्य का नाम प्रदेश अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे है. उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने जब से यह ट्वीट किया है कि ‘संगठन सरकार से बड़ा है’ तभी से उनके नाम के कयास लगाए जाने लगे हैं.

ऐसे में बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने भी नाम न जाहिर करने की शर्त पर इसकी पुष्टि की है कि केशव मौर्य का नाम रेस में सबसे आगे है. हालांकि, पार्टी का हर नेता अपनी बात के साथ एक लाइन जोड़ने से नहीं रोक पाता कि यह बीजेपी है और आखिरी वक्त में किसका नाम सामने आ जाए कहना मुश्किल है. इसी के चलते क्या केशव मौर्य ही होंगे प्रदेश अध्यक्ष या पश्चिम से होगा कोई नाम जो संभालेगा पार्टी की कमान?

बीजेपी के एक बड़े नेता जो आलाकमान के बेहद करीबी माने जाते हैं, उनके मुताबिक केशव मौर्य को केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि उन्हें प्रदेश की कमान दी जाए. इसके पीछे तर्क यह है कि 2017 का अनुभव और कार्यकर्ताओं पर पकड़ दोनों केशव मौर्य के साथ है. इसके अलावा सूबे के सियासी समीकरण और बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग को भी साधने के लिहाज से केशव मौर्य सबसे उपयुक्त माने जा रहे हैं.

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सियासी समीकरण साधने का दबाव

दरअसल, बिहार में सियासी परिवर्तिन के बाद बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व 2024 में केशव मौर्य का उपयोग उत्तर प्रदेश के बाहर खासकर बिहार जैसे राज्य में भी करना चाहेगा. पार्टी की नजर इस बार जेडीयू के कोर वोटबैंक कुर्मी-कोइरी-कुशवाहा जैसे वोटों को अपने पाले में करने की है. बिहार में ये ऐसा वोटबैंक है, जिनके जरिए नीतीश कुमार दो दशक से सत्ता के धुरी बने हुए हैं और अब बीजेपी इसी वोटबैंक को अपने साथ जोड़कर महागठबंधन के समीकरण को ध्वस्त करना चाहती है.

बीजेपी के इस बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हो सकता है कि केशव मौर्य को बाहर उपयोग करने साथ इस सरकार के भीतर भी बड़े नेता के तौर पर इस्तेमाल करने की मजबूरी सामने हो. ऐसे में पार्टी किसी नए नाम को भी सामने पेश कर सकती है. केशव मोर्य का नाम बाहर होता तो फिर नया नाम भी सामने आता है तो वह कौन होगा.

बीजेपी के ये चेहरे भी रेस में हैं

योगी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने के साथ ही बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा था. ऐसे में ज्यों-ज्यों समय बीत रहा है, अध्यक्ष पद के लिए दावेदारों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है. केशव मौर्य के अलावा जो नाम चर्चा में है उसमें हरीश द्विवेदी हैं. जिन्हें ब्राह्मण चेहरे के तौर पर बीजेपी पार्टी की कमान सौंप सकती है. साथ ही ब्राह्मण चेहरे के तौर एक नाम श्रीकांत शर्मा का भी लिया जा रहा है.

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बीजेपी के नए अध्यक्ष के लिए पश्चिम यूपी से जाट चेहरे के तौर पर योगी सरकार में मंत्री भूपेंद्र चौधरी का नाम भी रेस में माना जा रहा है. वहीं, दलित चेहरे के तौर पर विद्यासागर सोनकर का नाम भी रेस में बताया जा रहा है. सोनकर संगठन के माहिर नेता माने जाते हैं. बीजेपी के सियासी विस्तार के लिहाज से भी काफी अहम हो सकते हैं, क्योंकि पार्टी की नजर सूबे के दलित वोटबैंक पर है. हालांकि, नया अध्यक्ष 2024 को ध्यान में रखकर बनाया जाना है, लिहाजा फूंक-फूंककर कदम रखे जा रहे हैं.

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