नोएडा। उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (UP RERA) ने बुधवार को राज्य में हाउसिंग प्रोजेक्ट डेवलपर्स यानी बिल्डर्स को केवल कारपेट एरिया के अनुसार यूनिट या अपार्टमेंट बेचने का निर्देश दिया। रेरा ने कहा कि रेरा अधिनियम के प्रावधानों और अन्य कानूनी समझौतों और अनुबंधों के अनुसार, ‘सुपर एरिया’ का कोई औचित्य नहीं है।
बयान में बताया गया कि सुपर एरिया के आधार पर अपार्टमेंट की बिक्री अवैध मानी जाएगी। रेरा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, केवल कारपेट एरिया के आधार पर अपार्टमेंट की खरीद और बिक्री वैध है।
यूपी रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने कहा कि रेरा अधिनियम में सुपर एरिया का कोई संक्षिप्त नाम या परिभाषा नहीं है। आवंटियों के लिए कारपेट एरिया को इकाई या अपार्टमेंट का वास्तविक क्षेत्र मानना और प्रमोटर को इस क्षेत्र के अनुसार भुगतान करना वास्तव में आवश्यक है।
रेरा अधिनियम 2016 के अनुसार, प्रमोटर पोर्टल पर प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन करते समय इकाइयों की संख्या और उनके प्रकार के साथ-साथ फर्श, बालकनी, छत और अन्य स्थानों के क्षेत्र का उल्लेख करते हैं। इसमें वे आंतरिक दीवारों (कालीन क्षेत्र) के बीच फर्श की जगह के वास्तविक क्षेत्र का उल्लेख करते हैं।
प्रमोटर और आवंटी के बीच बिक्री के समझौते के लिए, यूपी रेरा पोर्टल पर बिक्री के लिए एक मॉडल समझौता प्रदान किया गया है। बिक्री के लिए यह मॉडल समझौता कारपेट एरिया पर भी आधारित है। बयान के मुताबिक, इस तरह ‘सुपर एरिया’ के आधार पर अपार्टमेंट या यूनिट बेचना रेरा अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है।
यूपी रेरा ने कहा कि इसलिए, प्रमोटरों को केवल कारपेट एरिया के अनुसार इकाइयों की बिक्री सुनिश्चित करनी चाहिए। इस प्रावधान का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।