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महाकुंभ भगदड़ मामले में हाईकोर्ट से योगी सरकार को बड़ी राहत, बेंच ने खारिज की ये याचिका

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट से योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने महाकुंभ भगदड़ की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दाखिल की गई याचिका सोमवार को खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने याचिका को औचित्यहीन बताया.

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली की डिविजन बेंच इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है. 11 मार्च 2025 को हाईकोर्ट ने इस केस पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था.

केशर सिंह, योगेंद्र कुमार पांडेय व कमलेश सिंह ने महाकुंभ भगदड़ की सीबीआई जांच की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी. जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने सुनवाई की थी और 11 मार्च को फैसला सुरक्षित कर लिया था.

याचियों की ओर से अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने कोर्ट में बहस की थी. याचिकर्ताओं के वकील की तरफ से कोर्ट में महाकुंभ की अव्यवस्थाओं, प्रशासनिक लापरवाही और गंगाजल दूषित होने को लेकर अदालत में पक्ष रखा गया था.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर बहस करते हुए एडवोकेट वीसी श्रीवास्तव ने कहा कि 144 साल बाद महाकुंभ व अमृत वर्षा की भविष्यवाणी पर 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु देश-विदेश से आए. केंद्र और राज्य सरकार ने इस आयोजन के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए.

अभूतपूर्व व्यवस्थाएं कीं, लेकिन मेला प्रशासन की लापरवाही के कारण कई गड़बड़ी हुईं. लोगों को 20 से 30 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. गंगा का पानी भी प्रदूषित रहा. प्रशासनिक लापरवाही के कारण गंगा जल की शुद्धता पर अंगुली उठाई गई.

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कोर्ट में एनजीटी के आदेश की प्रति व बीओडी सीओडी की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की गई. हाईकोर्ट में बहस के दौरान वीसी श्रीवास्तव ने कहा कि प्रशासन ने महाकुंभ में बनाए गए सभी 30 पांटून पुलों को बंद रखा, जिससे श्रद्धालुओं को काफी पैदल चलना पड़ा. लोग शहर की ओर से झूंसी की तरफ नहीं जा पाए. श्रद्धालुओं को 30-40 किमी पैदल चलना पड़ा.

सरकार ने स्नानार्थियों के लिए शटल बस की व्यवस्था की थी, लेकिन मेला प्रशासन की लापरवाही के कारण यह चल ही नहीं पाई. श्रद्धालुओं को ऑटो और बाइकों के सहारे मेला क्षेत्र तक आना पड़ा. इसमें मनमानी वसूली की गई.

प्रशासनिक उदासीनता के कारण शहर के होटलों व नावों में 10 गुना से भी ज्यादा पैसे की वसूली की गई. स्नानार्थियों को पार्किंग एरिया और रास्तों में भाेजन–पानी और टायलेट की समुचित व्यवस्था नहीं मिली. जाम में फेसे श्रद्धालुओं को भूखे–प्यासे रहना पड़ा.

मौनी अमावस्या की भगदड़ भी सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुई. ड्रोन सिस्टम काम नहीं कर रहा था. भगदड़ की घटनाओं की रिपोर्ट व उससे प्रभावित लोगों की जानकारी अब तक सरकार को नहीं दी गई.

प्रशासनिक अधिकारियों का कोई तालमेल नहीं था और न ही उन्हें किसी बात की जानकारी है. याचिकाकर्ताओं ने डीआईजी महाकुंभ, वैभव कृष्णा, आईपीएस अजय पाल शर्मा, तुलसीपीठ के स्वामी रामभद्राचार्य, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री, एसएसपी महाकुंभ राजीव द्विवेदी, महाकुंभ मेलाधिकारी विजय किरण आनंद समेत 13 को पक्षकार बनाया था.

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