बुलंदशहर में एक ऐसा भी गांव है जो ना तो ग्राम पंचायत चुनाव में हिस्सा ले पाता है, और ना ही नगर पंचायत चुनाव में। यही कारण है कि किसी भी कल्याणकारी योजना द्वारा इस गांव में आज़ादी से अब तक कोई विकास नहीं कराया गया। इतना ही नहीं, ग्राम पंचायत और नगर पंचायत के बीच में लटके इस गांव के ग्रामीण दावा करते हैं कि जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों से उन्हें समय समय पर आश्वासन तो ज़रूर मिलता है, मगर समाधान आज तक नहीं मिला।
दिल्ली से महज 80 किलोमीटर दूरी पर स्थित यूपी के जनपद बुलंदशहर के खुर्जा तहसील क्षेत्र में स्तिथ उस गांव की हैं जो आज़ादी से अब तक अपने हालतों पर रो रहा है, उसका कारण है कि ये गांव न तो ग्राम पंचायत क्षेत्र में दर्ज हो सका और न ही नगर पंचायत क्षेत्र में। खुर्जा नगर पालिका क्षेत्र से सटे करीब 200 परिवारों वाला ये गांव, यूं तो मुरारी नगर चौचन्दा के नाम जाना जाता है, मगर इस गांव को अब तक न तो ब्लॉक से चलाई जा रही किसी योजना का लाभ मिला, और न नगर पालिका की कल्याणकारी योजनाएं ही इस गांव के ग्रामीणों के काम आईं। जिसके चलते गांव में न तो अच्छे रास्ते हैं, और न ही पानी निकासी का ही पुख़्ता इंतज़ाम। गांव में न तो प्राथमिक विद्यालय है और न ही बिजली के पुख़्ता इंतज़ाम।
ग्रामीणों की माने तो इस गांव के ग्रामीण अपने मत का प्रयोग भी सिर्फ लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ही कर पाते हैं। उसके अलावा इन्हें और किसी चुनाव में वोट करने का मौका नहीं मिलता।
ग्रामीण बताते हैं कि पीढ़ियों से वो इसी जगह रहते आये हैं मगर उसके बाद भी अब तक ये गांव वजूद में नहीं आ सका।
ग्रामीण बताते हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव नज़दीक आने पर नेताजी इनकी दहलीज़ पर भी माथा टेकने पहुंचते हैं, उस दौरान इनसे भी कई प्रकार के वायदे किये जाते हैं, मगर चुनाव जीतने के बाद नेताजी अपने किये वादे भूल जाते हैं और उसके बाद एक बार फिर खुर्जा का मुरारी नगर चौचन्दा गांव उम्मीद भरी निगाहों से नेता की राह देखता रहता है।
वहीं खुर्जा नगर पालिका के ईओ जेके आनन्द से जब हमारी टीम ने फ़ोन से बात कि तो उनकी ओर से दावा किया गया कि इस गांव को नगर पंचायत में शामिल करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके आगे नोटिफिकेशन जारी की जाएगी और फिर ब्लॉक द्वारा नियमानुसार कार्रवाई करने पर इस गांव को नगर क्षेत्र में शामिल किया जाएगा।
रिपोर्टर – नीरज शर्मा