भागवत का पहला सूत्र यही है कि बहुत कम समय के जीवन में हम संतुष्ट और प्रसन्न रहने का पुरूषार्थ करें। सुख-दुख आते-जाते रहते हैं लेकिन अपनी पूर्ति के बाद भी हम नर में नारायण के दर्शन की अनुभूति करते रहें। धर्मसभा के साथ गृहसभा की जिम्मेदारी भी निभाएं। दूसरों की संपत्ति देखकर खुश रहना भी हमें आना चाहिए। श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता इसलिए भी इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में दर्ज है कि उनमें कोई स्वार्थ नहीं था। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज वैसे तो धर्म नगरी और संस्कृति के लिए जाना जाता है मगर प्रयागराज एक विशिष्ट शिक्षा प्रणाली को भी अपनाता है, प्रयागराज को अलग-अलग शिक्षाविदों ने अपनी भाषा संबोधन से अलग अलग तरीके से नवाजा है, प्रयागराज से महज कुछ किलोमीटर दूर मीठूपुर में भारतीय संस्कृति आज भी नजर आती है, गॉव में जन्मे आईपीएस अशोक शुक्ला के गॉव से आज जो संस्कारों की बहती बयार की तस्वीरें सामने आई हैं वह आने वाली पीढ़ी के लिए एक दिशा साबित होंगी,गॉव में आज भी कृष्ण जी सुदामा के पाँव पखारते है… ऐसी तस्वीरें बदलते समाज के ऐसे वक्त में जब जात पात — धर्म ऊंच-नीच अपने चर्म पर हो के लिए एक आईने का झरोखा हैं, वैसे तो आईपीएस अशोक शुक्ला अपने पुलिस विभाग के कैरियर में कई बार मनुष्य सेवा परमो धर्म की तस्वीरों के साथ सामने आते रहे हैं मगर यह संस्कृतियों के टकराव का समय है। किसी भी देश की संस्कृति, उस देश में निवास करने वाले सामान्य जन के रहन-सहन, आचार-विचार, खान-पान, वस्त्र-आभूषण, नृत्य-गीत-संगीत, जन्म, विवाह, मृत्यु आदि संस्कारों से निर्मित होती है। इसलिए अगर किसी देश के मूल्य और संस्कृति के वास्तविक और प्राकृतिक स्वरूप को निरखना-परखना हो तो इसका सबसे अच्छा स्रोत उस देश की संस्कृति और मुख्य रूप से लोकसंस्कृति है और ऐसी ही लोक संस्कृति की बानगी बनी आईपीएस अशोक शुक्ला के गांव मीठूपुर की तस्वीर को खूब सराहा जा रहा हैं ।