लखनऊ। एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को 12 अप्रैल की सुनवाई में पेश होने के आदेश दिए हैं। मुख्तार की अनुपस्थिति के कारण जिला कारागार लखनऊ में वर्ष 2000 में कारापाल और उपकारापाल पर हुए हमले और जेल में पथराव के मामले में आरोप सिद्ध नहीं हो पा रहा है। इसलिए मुख्तार का पेश होना आवश्यक है। विशेष जज पवन कुमार राय की अदालत ने पिछली कई तारीखों पर मुख्तार अंसारी को पेश कराने के संबंध में यूपी पुलिस के संबंधित अफसरों व जिला कारागार रूपनगर, रोपड़, पंजाब के वरिष्ठ अधीक्षक को भी निर्देश दिया था।
यह था मामला : तीन अप्रैल 2000 को इस मामले में कारापाल एसएन द्विवेदी ने थाना आलमबाग में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कारापाल के मुताबिक पेशी से वापस आए बंदियों को जेल में दाखिल कराया जा रहा था। इस बीच मुख्तार और उनके लोगों ने बंदी चांद पर हमला बोल दिया। शोर सुनकर कारापाल एसएन द्विवेदी व उप कारापाल बैजनाथ राम चौरसिया तथा कुछ अन्य बचाव में दौड़े। हमलावरों ने जेल अधिकारियों व प्रधान बंदी रक्षक स्वामी दयाल अवस्थी पर हमला बोल दिया। अलार्म बजाकर स्थिति को नियंत्रित किया गया। अलार्म बजने पर यह सभी भागने लगे। साथ ही इन जेल अधिकारियों पर पथराव करते हुए जानमाल की धमकी भी देने लगे।
मामले में युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित, लालजी यादव आदि के साथ ही मुख्तार अंसारी को भी नामजद किया गया था। विवेचना के बाद इन सबके खिलाफ आइपीसी की धारा 147, 336, 353 व 508 में आरोप पत्र दाखिल किया गया। युसुफ चिश्ती व आलम न्यायिक हिरासत में जेल में हैं, जबकि कल्लू पंडित व लालजी यादव जमानत पर रिहा हैं।