मथुरा: द्वापर युग में मथुरा के राजा कंस ने युद्ध कौशल में प्रवीण कुबलियापीड़ हाथी को कृष्ण और बलराम के वध के लिए चुना था। इस परोक्ष युद्ध के लिए पहले कृष्ण और बलराम को मथुरा बुलवाया गया और फिर युद्ध हुआ। इसमें भगवान कृष्ण और बलराम ने इस मदमस्त हाथी को आसमान में उछाला और जमीन पर पटक-पटक कर मार डाला मेला के मार्गदर्शक राजनारायण गौड ने बताया कि गर्ग संहिता में इस बात का उल्लेख है कि कंस ने कुबलियापीड़ हाथी जरासंध से बतौर उपहार हासिल किया था। इस हाथी की ये खासियत थी कि ये अपने असीम बल से अपने शत्रु को कुचल कर मार देता था। कंस ने कृष्ण और बलराम के वध के लिए इस हाथी को चुना। कुबलियापीड़ा हाथी वध महोत्सव समिति मेला संयोजक निमाई पंडित ने बताया साढ़े पांच हजार साल पुरानी इस लीला को आज भी उत्साह के साथ जीवंत किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की शोभायात्रा निकाली जाती है और प्रतीकात्मक हाथी का वध किया जाता है। ये लीला 20 नवंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान निकट प्राचीन मल्लपुरा स्थल पर की गई। इस मेले में रमाकांत गोस्वामी राज नारायण गौड राजीव शर्मा विनोद कुमार शर्मा निमाई पंडित सचिन पंडित अर्जुन पंडित आदि अधिकारी मौजूद रहे।
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