नीरज शर्मा की खबर
बुलंदशहर: किसान विधेयक वापस लेने की मांग को लेकर आम आदमी पार्टी भी आई सड़कों पर। आप कार्यकर्ताओं ने विधेयकों को बताया किसान विरोधी, कार्यकर्ताओं ने सरकार के ख़िलाफ़ भी जमकर की नारेबाजी।
भारतीय संसद में असंवैधानिक तरीके से पारित एग्रीकल्चर ऑर्डिनेंस (कृषि अध्यादेश) से जय जवान और जय किसान के नारा लगाने वाले देश में किसानों की बदहाली मे एक और काला अध्याय जोड़ने का काम केंद्र में बैठी भाजपा सरकार के द्वारा किया गया है | केंद्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार को किसानों की कोई चिंता नही है किसान विरोधी ये काला क़ानून उसका जीता जागता प्रमाण है | कृषि सेक्टर को प्राइवेट हाथों में देने के लिए यह बिल लाया गया है, इससे एमएसपी खत्म हो जाएगी।
एग्रीकल्चर ऑर्डिनेंस (कृषि अध्यादेश) को लेकर केंद्र सरकार द्वारा कहा गया कि किसानों के लिए यह एक क्रांतिकारी बिल है, लेकिन सच यह है कि कृषि जो हमारा देश की जीवन रेखा है, 80 प्रतिशत लोग जो गांव में रहते हैं वो कृषि पर निर्भर हैं, उसको पूँजीपतियों के हाथों में देने के लिए यह बिल लाया गया है। इस बिल की वजह से धान गेहूं व अन्य फसलों पर मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जायेगा, बिल में पूँजीपतियों को खुली छूट दे दी गई है कि आप आइए और कृषि क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लीजिए। एक तरफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार एयरपोर्ट बेच रही एलआईसी बेच रही बैंक बेच रही एयर इंडिया बेच रही BPCL बेच रही और रेलवे बेच रही अब किसानों से खेती को भी छीना जा रहा है।
इस बिल के पास होने से बड़े-बड़े पूंजिपतियों को कृषि क्षेत्र में आने का मौका मिलेगा। 10-20 एकड़ जमीन के क्लस्टर बनेंगे और पूंजीपति कहीं से भी फसल खरीद कर, देश में कहीं भी उसका भंडार (स्टोर) कर सकेंगे।
इस बिल के अनुसार अब किसी भी जरूरी वस्तु को कहीं भी इकट्ठा किया जा सकता है। जरूरी वस्तुओं का जितना चाहे उतना भंडार किया जा सकता है और जब मन चाहे उसे बेचा जा सकता है। इससे काला बाज़ारी और बेतहाशा महँगाई बढ़ेगी।