नई दिल्ली। PwC report के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट इंडस्ट्री ट्रांसफॉर्मेशन का केंद्र बन गया है। वित्तीय सेवा उद्योग कोविड-19 महामारी के चलते एक महत्वपूर्ण बदलाव के मध्य खड़ा है। दुनिया की अधिकांश आबादी के वित्तीय जीवन में डिजिटलीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, इलेक्ट्रॉनिक भुगतान इस परिवर्तन के केंद्र में हैं।
भुगतान तेजी से कैशलेस होते जा रहे हैं और वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने में इस इंडस्ट्री की भूमिका अहम हो गई है। जैसे-जैसे डिजिटल मनी को लोग पसंद कर रहे हैं, वित्तीय सेवा उद्योग को यह समझना चाहिए कि भुगतान के पूरे बुनियादी ढांचे को नया रूप दिया जा रहा है और इसके साथ ही नए व्यापार मॉडल उभर रहे हैं।
PwC के सर्वेक्षण से पता चलता है कि कैसे COVID-19 महामारी से पहले भी, कैशलेस भुगतान जैसे तुर्की में बस टिकट के भुगतान के लिए केवल एक टेक्स्ट भेजना या चीन में किराने का सामान खरीदने के लिए एक क्यूआर कोड का उपयोग करना डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक स्थिर बदलाव का प्रमाण है। एक बदलाव जो अंततः एक वैश्विक कैशलेस समाज की ओर ले जा सकता है। वैश्विक कैशलेस भुगतान की मात्रा के साल 2020 से साल 2025 तक 80 फीसद से अधिक बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है।
PwC द्वारा किये सर्वे के नतीजों के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यह सबसे तेजी से बढ़ेगा। साल 2020 से 2025 के बीच कैशलेस लेनदेन की मात्रा में एशिया प्रशांत क्षेत्र में 109% की वृद्धि होगी। इसके बाद अफ्रीका में (64% से 78%), यूरोप में (64% से 39%), लैटिन अमेरिका में (48% से 52%) और अमेरिका व कनाडा में सबसे कम (35 से 43 फीसद) की वृद्धि होगी।