नोएडा। जिले में बेटियों के प्रति बढ़े प्रेम और सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना का सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है। बीते चार वर्षों में प्रतिवर्ष पैदा होने वाले प्रति एक हजार बेटों पर बेटियों की संख्या लगातार बढ़ी है। सीएमओ डा.सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में एक हजार बेटों पर 911 बेटियां, 2018-19 में 922 बेटियां, 2019-20 में 928 बेटियां और 2020-21 में 929 बेटियों ने जन्म लिया।
विभाग द्वारा लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए जागरूकता पैदा की जा रही है। वहीं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एसीएमओ व पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डा.ललित मिश्र ने बताया कि बीते दिन गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन पर रोक) पीसीपीएनडीटी की बैठक समिति के सदस्यों को कोख में बेटियों की पहचान करने वालों पर नकेल कसी जा रही है।
इसे बेटियों की संख्या में सुधार होने का एक यह भी अहम कारण माना जा सकता है। हमारी बेटियां, हमारी पहचान अभियान के बारे में भी अवगत कराया। समिति को अल्ट्रासाउंड केंद्र पर निगरानी रखते हुए निरीक्षण करने के निर्देश दिए। जिन विकास खंडों में लिंगानुपात सबसे कम है, वहां पर विशेष ध्यान देते हुए लोगों की काउंसिलिंग करने को निर्देशित किया।
निर्देश दिए कि यदि भ्रूण लिंग जांच के विषय में उन्हें कोई जानकारी मिलती है तो इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को तत्काल दें, ताकि दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जा सके। तीन से पांच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान: पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत प्रसव पूर्व लिंग जांच करना नियम विरुद्ध तो है ही, साथ ही यह प्रकृति के विरुद्ध भी है। अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले दंपती या करने वाले चिकित्सक को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।