देहरादून। राज्य के संसाधनों में शहरी निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतों की हिस्सेदारी को अंतिम रूप देने का काम शुरू कर दिया गया है। पांचवां वित्त आयोग इस संबंध में अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहा है। आगामी 15 जून को इस रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा सकता है। आयोग का कार्यकाल आगे बढ़ने के संकेत नहीं हैं। पांचवें वित्त आयोग ने महज दो जिलों में ही सुनवाई पूरी की।
कोरोना महामारी की वजह से आयोग सभी जिलों में जाकर शहरी निकायों और पंचायतों के जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ बैठक नहीं कर पाया है। सिर्फ रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में ही बैठकें हो पाई थी। इसके बाद वर्चुअल बैठकों का कार्यक्रम तय किया गया, लेकिन आयोग अध्यक्ष इंदु कुमार पांडेय की अस्वस्थता के चलते यह नहीं हो सका। इसके बाद आयोग ने सभी निकायों और पंचायतों को आनलाइन या आयोग दफ्तर में सुझाव भेजने को पत्र लिखा था। बताया जा रहा है कि अब तक तकरीबन 60 फीसद निकायों और पंचायतों से सुझाव आयोग को प्राप्त हो चुके हैं।
आमदनी नहीं बढ़ा सके निकाय-पंचायतें
प्रदेश के 13 जिलों में 90 शहरी निकायों में आठ नगर निगम, 41 नगर पालिका परिषद और 41 नगर पंचायतें हैं। इसके अतिरिक्त 13 जिला पंचायतें, 93 क्षेत्र पंचायतों और 7991 ग्राम पंचायतें हैं। निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतों के सामने माली हालत सुधारने और राजस्व आमदनी बढ़ाने की चुनौती है। इन्हें इस संबंध में भी आयोग को सुझाव देने हैं। हालांकि अब तक गठित आयोगों की ओर से दिए गए सुझावों के मुताबिक निकायों और पंचायतों ने अपनी आमदनी बढ़ाने पर जोर नहीं दिया है। ऐसे में उनकी निर्भरता केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद पर है।
तीन दफा बढ़ चुका कार्यकाल
आयोग को पांच साल के लिए अपनी रिपोर्ट देनी है। इसमें एक वित्तीय वर्ष गुजर भी चुका है। सरकार ने चार नवंबर, 2019 को अधिसूचना जारी कर पांचवें राज्य वित्त आयोग का गठन किया था। एक वर्ष के लिए गठित इस आयोग का कार्यकाल बीते वर्ष चार नवंबर को समाप्त हो गया था। इसके बाद शासन ने नौ नवंबर, 2020 को अधिसूचना जारी कर आयोग का कार्यकाल बढ़ाया। सरकार ने फिर 10 फरवरी, 2021 को अधिसूचना जारी कर आयोग का कार्यकाल 15 मार्च तक बढ़ाया था। तीसरी दफा आयोग का कार्यकाल 30 अप्रैल तक बढ़ाया गया था। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो सरकार अब आयोग का कार्यकाल आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है।
अवैतनिक रूप से बढ़ सकता है कार्यकाल
हालांकि जिलेवार होने वाली बैठकों के मद्देनजर आयोग का कार्यकाल आगामी जून माह तक बढ़ाने की पैरवी की जाती रही है। अब आयोग के कार्यकाल को तो नहीं बढ़ाया जाएगा, लेकिन अवैतनिक रूप से आयोग का कार्यकाल आगामी जून तक जारी रखा जा सकता है। आयोग फिलहाल रिपोर्ट को तैयार करने में जुटा है।