जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान के राजनीतिक संकट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की है। जैसलमेर में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि पीएम मोदी को राजस्थान में चल रहे ‘तमाशा’ को रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि हॉर्स ट्रेडिंग के रेट बढ़ गए हैं। जैसे ही विधानसभा सत्र की घोषणा हुई भाजपा और रेट बढ़ा दिए है।
गहलोत ने आरोप लगाया कि भाजपा का हॉर्स ट्रेडिंग का खेल बहुत बड़ा है, उनके मुंह खून लग चुका है, कर्नाटक में, मध्य प्रदेश में, इसलिए वो यहां प्रयोग कर रहे हैं। पूरा गृह मंत्रालय इस काम में लगा है। धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल की तरह कई मंत्री लगे हुए हैं। कई छुपे रुस्तम भी हैं
गहलोत ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार राजस्थान की कांग्रेस सरकार को गिराने का षड्यंत्र रच चुकी है और कांग्रेसी विधायकों किसी तरह से बागी कांग्रेसी विधायकों से दूर रहे,इसलिए जैसलमेर विधायकों को ले जाना पड़ा है।
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया कि कैबिनेट मंत्री आते-जाते रहेंगे और जनता से जुड़ा कोई भी कार्य नहीं रूकेगा। चाहे कोरोना वायरस के नियंत्रण को लेकर फैसला करना हो, या कानून व्यवस्था को लेकर कोई निर्णय करना हो। लेकिन सीएम गहलोत ने भले ही बयान दे दिया हो, और ब्यूरोक्रेसी को निर्देश दे दिए हो, लेकिन हकीकत यह है कि जयपुर में शासन सचिवालय में अब शायद ही कोई फरियाद लगाने आयेगा। क्योंकि गहलोत सरकार 13 अगस्त तक तो जैसलमेर ही रहेगी और 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र है। ऐसे में 13 अगस्त तक ही जयपुर गहलोत गुट के सभी विधायक यहां पहुंचेंगे।
सीएम अशोक गहलोत भले ही भाजपा नेताओं पर सरकार गिराने का आरोप लगा रहे हो, लेकिन पूर्व पर्यटन मंत्री और बागी कांग्रेस विधायक विश्वेंद्र सिंह का ट्वीटर के जरिये निशाना साधना जारी है।
उन्होंने ट्वीट करके कहा कि हम भी जनता के द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं सीएम साहब। पिछले 18 माह से मैने आपसे मिलकर व्यक्तिगत रूप से प्रदेश के लोगों एवं मेरे विभाग की समस्याओं के बारे में बार-बार अवगत कराया लेकिन आपने इस और कोई ध्यान नहीं दिया, आखिर क्यों। साथ ही विश्वेंद्र सिंह ने ट्वीट किया कि जब सरकार अल्पमत में है तब आपने पर्यटन विभाग के कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान दिया, काश यह काम आप थोड़ा पहले कर देते गहलोत जी, तो ना यह सरकार अल्पमत में होती ना हमें दिल्ली आना पड़ता।