ग़ाज़ियाबाद ब्यूरो
फर्जीवाड़े के मुकदमों में ग़ाज़ियाबाद जेल में बंद दीप्ति शर्मा नाम की महिला से जेल के बंदी व जेल प्रसाशन परेशान रहता है।
फर्जीवाड़ा करने के बाद जेल में बंद होने के बावजूद दीप्ति शर्मा के तेवर और रौब थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जेल प्रशासन से मांगी गयी जानकारी चौंकाने वाली है। जेल प्रशासन द्वारा सूचना अधिकार के तहत मुहैया कराई गयी चिट्ठियों और शिकायती पत्रों ने बड़ा खुलासा किया है।
जेल में बंद होने के बावजूद दीप्ति शर्मा बंदियों और जेल प्रसाशन पर रौब झाड़ते हुए अनैतिक मांगों को पूरा करने का दबाव बनाती है। बंदियों के साथ मारपीट, जेल में मनमर्जी और विक्षिप्त महिला बंदियों का शोषण तो आम बात है। जेल प्रसाशन के समझाने पर उनसे भी गली गलौच और अभद्रतापर उतर जाती है।
परेशान होकर जेल प्रसाशन ने न्यायलय को भी उसके खराब आचरण व अनुशासनहीनता से अवगत कराते हुए चेतावनी के बाद बैरिक ट्रांसफर कर दिया था।
आये दिन दीप्ति की शिकायतें अन्य महिला बंदियों द्वारा की जाती है कि TV की आवाज नहीं खोलने देती, बुजुर्ग महिला बंदियों से देर रात तक झगड़ा और गाली गलौच, मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला बंदियों का शोषण, रोकने पर नम्बरदारों से हाथापाई आम बात हो चुकी है।
कहने को तो जेल को सुधारगृह माना जाता है लेकिन जेल में रहने के बावजूद इतना उत्तेजित व हिंसक व्यवहार करने वाले बंदी के बाहर निकलने पर समाज को बड़ा खतरा हो सकता है।