देहरादून। कोरोना के संक्रमण और ऑक्सीजन की बढ़ती खपत को देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज ने बड़ा फैसला लिया है। जिसके तहत अब अस्पताल में प्रेशर स्विंग एब्सार्प्शन (पीएसए) ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। एक माह के भीतर प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
कोरोना के बढ़ते मामलों ने ऑक्सीजन की अहमियत बढ़ा दी है। दरअसल, कोरोना फेफड़े को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है और इससे मरीजों को श्वास संबंधी समस्या बढ़ती है। ऐसे में मरीजों को ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत पड़ी है। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में फिलवक्त एक लिक्विड ऑक्सीजन और एक ऑक्सीजन गैस प्लांट संचालित हो रहा है।
प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि ऑक्सीजन के लिहाज से अस्पताल को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास है। इसी क्रम में एक और ऑक्सीजन प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बाद में ओटी कॉम्प्लेक्स के लिए भी अलग ऑक्सीजन प्लांट बनाया जाएगा।
ऐसे काम करती है पीएसए तकनीक
ऑक्सीजन पीएसए जेनरेटर ऑक्सीजन को वायुमंडलीय हवा से प्रेशर स्विंग के जरिये सोखकर अलग करता है। कंप्रेस्ड हवा, जिसमें लगभग 21 फीसद ऑक्सीजन और 78 फीसद नाइट्रोजन होती हैं, को जिओलाइट आणविक छलनी से होकर गुजारा जाता है, जिससे ऑक्सीजन अलग हो जाती है।