बसपा से कोई वास्ता नही था
बसपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिये जिला गौतमबुद्ध नगर से ऐसे प्रभारी को खड़ा किया है जिसका बसपा से कोई वास्ता नहीं । अर्थात बसपा समर्थकों के लिये ये एकदम नया चेहरा है।
पैसों के बल पर मिली टिकट
विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि संजय भाटी ने पैसों के बल पर टिकट हथियाया है। दरअसल संजय भाटी एक बिजनेसमैन हैं। या यूं कहें कि इन्होंने गोरखधंधों से बहुत सा पैसा जमा किया हुआ है और इसी के बल पर टिकट हासिल की है तो गलत नहीं होगा।
क्या है गोरखधंधे का पूरा मामला
दरअसल संजय भाटी ने 20 जुलाई 2010 को गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड नाम की कंपनी की स्थापना हुई गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के 2010 में तीन डायरेक्टर थे।दीप्ति बहल, संजय भाटी और सचिन भाटी जिसमें से संजय भाटी कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। धोखाधड़ी से चलने वाली कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर कंपनी से बाहर हो जाते हैं और किसी और को डायरेक्टर बना देते हैं। जिसकी वजह से जो असली धोखाधड़ी करने वाले लोग हैं वह एक बड़े जाल में फंसने से बच जाते हैं।
धोखाधड़ी से बचने के लिए वही खेल इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के डायरेक्टर ने भी खेला उन्होंने 50 करोड़ की कैपिटल वैल्यू की कंपनी बनाई और जब इन्हें लगा कि अब इनका भांडा कभी भी फूट सकता है तो कंपनी के तीनो डायरेक्टर कंपनी से बाहर हो गए। कंपनी के तीनो डायरेक्टर में से एक डायरेक्टर संजय भाटी ने 2014 में डायरेक्टरशिप से रिजाइन दे दिया परंतु कंपनी के 96 प्रतिशत शेयर अपने पास ही रखे।
बदलते रहे कम्पनी के डाइरेक्टर
जब कंपनी के तीनो डायरेक्टर कंपनी से बाहर हो गए तो 14 फरवरी 2017 को सुनील कुमार प्रजापति को कंपनी का नया डायरेक्टर बनाया गया इसके साथ ही राजेश भारद्वाज को भी कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया। इसके बाद 5 जुलाई 2018 को विनोद कुमार और 8 फरवरी 2018 को करण पाल सिंह को कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया। डायरेक्टर बदलने का सिलसिला चलता रहा और इसी दौरान 22 दिसंबर 2018 में विजय पाल, राजेश सिंह यादव, हरीश कुमार, विनोद कुमार, विशाल कुमार, ललित कुमार, रविंद्र कुमार, लोकेंद्र सिंह औरपुष्पेंद्र सिंह को कंपनी का नया डायरेक्टर बनाया गया।
रिजाइन के बाद भी सबसे ज्यादा शेयर संजय भाटी के पास
बसपा के कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों की नाराजगी के बावजूद बनाया नए चेहरे को 2019 लोकसभा चुनाव का प्रभारी
हैरान कर देने वाली बात यह है कि वर्तमान में कंपनी के जितने भी डायरेक्टर है उनके पास 1000 से ज्यादा शेयर नहीं है।
जबकि कंपनी के पुराने 3 डायरेक्टर संजय भाटी के पास 497300 शेयर है, सचिन भाटी के पास 2000 शेयर है और दीप्ति बहल के पास भी 2000 शेयर है। कंपनी के असली डायरेक्टर संजय भाटी को पहले से ही खबर थी कि एक ना एक दिन कंपनी का भंडाफोड़ जरूर होगा. कंपनी का फ्रॉड एक दिन सबके सामने आएगा। इसलिए संजय भाटी ने पहले ही शेयर होल्डिंग अपने पास रखी और नकली लोगों को कंपनी का डायरेक्टर बना दिया।
कम्पनी में निवेश के नाम पर दिया लोगों को धोखा
सूत्रों की मानें तो बाइक बोट नाम की पोंजी स्कीम में लगभग 7 लाख लोगों का पैसा लगा है और रकम लगभग 4200 करोड़ बताई जा रही है कंपनी 2 महीने से लोगो को रिटर्न भी नहीं दे पा रही है। यर पैसा निवेश करने वालों के खून पसीने की कमाई है। इसी दौरान संजय भाटी ने बसपा ज्वाइन की और गौतमबुद्ध नगर के लोकसभा सीट के प्रभारी बन गए। संजय भाटी ने यह सिर्फ राजनीतिक संरक्षण पाने की एक कोशिश की है।
बसपा समर्थकों में भारी नाराजगी
संजय भाटी को लोकसभा प्रभारी बनाने को लेकर बसपा समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि एक तो अभी सपा बसपा का गठबंधन हुआ है जिसके कारण बसपा के बड़े नेताओं की सहमति न होने के कारण उन में भारी मतभेद है। कुछ समर्थकों कार्यकर्ताओं का यहां तक कहना है कि गौतमबुद्ध नगर मायावती का गृह जनपद है। अतः उन्हें यहां से किसी जाने माने और लोकप्रिय चेहरे को खड़ा करना चाहिये था।
ऐसे में कहना होगा कि भारी नाराजगियों और सपा -बसपा मतभेदों, विरोधों के साथ संजय भाटी को गौतमबुद्ध नगर से लोकसभा प्रभारी बनाया है इसलिये इनकी चुनावी राह इतनी आसान नहीं होगी।
साथ ही सवाल ये भी उठता है कि क्या राजनीति अब केवल अपराध का अड्डा बन के रह गया है? क्या सपा बसपा ने केवल आपराधिक छवि वाले लोगों को ही टिकट देने की कसम खाई हुई है? क्या अब देश की राजनीति पर केवल आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोग ही राज करेंगे? आखिर कब तक संजय भाटी जैसे लोग जनता को मूर्ख बना के अपना उल्लू सीधा करते रहेंगे?