सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी तय समय बीतने के बावजूद सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 252 फ्लैट खरीदारों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रुपये नहीं लौटाए जा सके हैं। इसके कारण अब सुपरटेक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की तलवार लटक गई है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सुपरटेक ग्रुप को 30 अक्टूबर तक 252 खरीदारों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रकम लौटानी थी। यह रकम करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक बैठ रही थी। इसके चलते ग्रुप के अधिकारी पिछले दो माह से प्रयास में जुटे थे कि इन खरीदारों को वह ग्रुप के दूसरे प्रोजेक्ट में यूनिट देकर समझौता कर सकें, लेकिन अधिकांश खरीदार अपनी रकम वापस मांग रहे थे।
सेक्टर-93ए स्थित एमराल्ड सोसाइटी परिसर में वर्ष 2009 में एपेक्स और सियान टावर बनने शुरू हुए थे। इन टावरों में बिल्डर द्वारा 915 फ्लैट और 21 दुकानें बनाई जानी थीं। इसमें से 633 फ्लैट की बुकिंग भी कर ली गई थी। इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2014 में हाईकोर्ट ने ध्वस्त करने का ऑर्डर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद बिल्डर ने 133 खरीदारों को अन्य योजना में शिफ्ट कर दिया था। बुकिंग कराने वाले 248 खरीदार अपना पैसा वापस ले चुके हैं, लेकिन 252 खरीदारों ने न पैसा लिया था और न अन्य प्रोजेक्ट में शिफ्ट हुए। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को सुनाए फैसले में कहा था कि इन खरीदारों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ धनराशि वापस लौटाई जाए और यह धनराशि 30 अक्टूबर तक लौटानी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों टावर को 30 नवंबर तक गिराने के भी आदेश दिए हैं।
ध्वस्तीकरण की योजना अब तक नहीं बनी : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, 30 नवंबर तक सुपरटेक के ट्विन टावर को गिराया जाना है, लेकिन दो माह का समय बीत जाने के बाद भी इनके ध्वस्तीकरण की योजना नहीं बन सकी है। कंपनियां अभी तक प्राधिकरण के सामने यह भी नहीं बता सकी हैं कि इन टावरों को कैसे और कितने दिन में गिराया जाएगा। कंपनियों द्वारा कहा जा रहा है कि एक माह में इन टावरों को गिराना संभव नहीं है। इनको गिराने में पांच से छह माह लगने का दावा किया जा रहा है। वहीं, प्राधिकरण का प्रयास है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार तय समय में ही टावरों को गिराया जाए। इसको लेकर प्राधिकरण अपनी नाराजगी बिल्डर से जता चुका है।
लोग आरडब्ल्यूए से भी संपर्क कर रहे : आरडब्लूए अध्यक्ष राजेश राणा ने कहा कि इन टावरों में फ्लैट बुक कराने वाले 252 खरीदारों में से कुछ के द्वारा आरडब्लूए से भी संपर्क किया गया है। उन्हें अभी तक पैसे वापस नहीं मिले हैं। वे इस संबंध में आरडब्लूए से जानकारी मांग रहे हैं। सुपरटेक ने पैसे वापस करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी, लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। ऐसे में बिल्डर को पैसे देने होंगे।
प्राधिकरण और प्रशासन ने भी शिकंजा कसा : सुपरटेक पर जिला प्रशासन, नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने शिकंजा कस रखा है। जिला प्रशासन ने बकाये की वसूली के लिए ग्रुप के 59 विला जब्त कर लिए हैं और उनकी नीलामी की प्रक्रिया की जा रही है। इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण द्वारा हाल ही में सेक्टर-137 स्थित इको सिटी सोसाइटी में चार फ्लैट सील किए गए थे जबकि 18 फ्लैट सील किए जाने हैं।
केपटाउन सोसाइटी में गंदगी को लेकर भी उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इससे पहले प्राधिकरण ने 12 अक्टूबर को सेक्टर-74 स्थित सुपरटेक कैपटाउन सोसाइटी में बिना बिके 20 विला और तीन टावर सील किए थे। इन टावर में 150 से अधिक फ्लैट थे।
खरीदार रकम वापस मांग रहे
वकील अशोक अवाना तथा खरीदार मनोज, रोहित और योगेश ने कहा कि अधिकांश खरीदारों को अभी तक रुपये वापस नहीं मिले हैं। 50 प्रतिशत से अभी तक समझौते नहीं हुए हैं। ग्रुप द्वारा दूसरे प्रोजेक्ट में फ्लैट देने की बात कही जा रही है, लेकिन इन प्रोजेक्ट में भविष्य में कोई विवाद नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी है। इसके चलते अनेक लोग अपनी रकम वापस मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें रुपये नहीं लौटाए जा रहे हैं। अब इन लोगों द्वारा आदेश की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करने की तैयारी की जा रही है।
तय समय में निपटाए मामले : आरके अरोड़ा
सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के अरोड़ा ने दावा किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार तय समय में ही लगभग सभी मामले निपटा दिए गए हैं। कुछ लोगों को दूसरे प्रोजेक्ट में शिफ्ट किया गया है और कुछ को उनके रुपये भी लौटाए गए हैं। यह कहना गलत है कि मामले नहीं निपटाए गए या वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रहे हैं।